बाड़मेर

यहां, छांव है ना सकून, सौंदर्यकरण भी कोसो दूर

– औद्योगिक नगरी में उपेक्षा का शिकार उद्यान
– उजड़े पार्क, बंद फव्वारे और गंदगी का आलम

बाड़मेरMay 14, 2018 / 11:52 pm

Dilip dave

उजड़े पार्क, बंद फव्वारे

 
 

बालोतरा.कहने को तो शहर में एक दर्जन उद्यान है, जहां लोग सकून के पल बीता सकते हैं,लेकिन जमीनी हकीकत अलग ही

बयां हो रही है। इन उद्यानों में पेड़-पौधे नष्ट हो रहे हैं, झूले गायब हो चुके हैं। फव्वारे चल नहीं रहे और रोशनी की व्यवस्था नहीं है। एेसे में लोग यहां आए भी तो कैसे। इससे भी अजब स्थिति यह है कि
नगरपरिषद इनके रखरखाव को लेकर नए टेंडर नहीं कर रही और पुराने टेंडर वाले ठेकेदार भुगतान नहीं होने के

कारण काम करना नहीं चाहते। इसका खामियाजा शहर के बाशिंदों को भुगतना पड़ रहा है जो एक अदद सकून भरी जगह को तरस रहे हैं।
नगर परिषद कार्यालय सहित शहर के कई स्थानों पर पार्क हैं। यहां लम्बे समय से सफाई नहीं हुई है और ना ही संसाधनों का रख रखाव किया जा रहा है। एेसे में इन उद्यानों में न तो छाया की व्यवस्था है और ना मनोरंजन के लिए झूले। फव्वारे तो सालों से बंद है।
पुराने टंेडर का अटका भुगतान- नगरपरिषद के अनुसार पूर्व में टेंडर किए गए थे, जिसके चलते इन पार्क में फव्वारे, फिसल पट्टिया सहित अन्य संसाधन जुटाए गए थे। इसके चलते यहां सुबह-शाम लोगों की चहल-पहल रहती थी। अब स्थिति यह है कि बल्ब, एलईडी का पता नहीं है और फव्वारे बंद पड़े हैं। झूले टूट चुके हैं। नियमित पानी नहीं पिलाने से पेड़-पौधे व घास सूख गई है।
शहर में नगरपरिषद, पार्क में पालिका- नगरपरिषद की बेपरवाही का आलम यह है कि सभी पार्क में अभी भी बोर्ड पर नगरपालिका क्षेत्र बालोतरा लगा हुआ है, जबकि 2013 में यहां नगरपरिषद का गठन हो चुका है। परिषद ने उद्यानों की सुध लेना तो दूर बोर्ड तक बदलने की जेहमत नहीं उठाई।
टेंडर विवाद के चलते यह स्थिति- लम्बे समय से नए टेंडर नहीं हुए है। पुराने टेंडर्स का भी विवाद चल रहा है। जल्द ही विवाद निपटाकर नए टेंडर कर उद्यानों का सौंदर्यकरण किया जाएगा। अप्रेल 2013 से बालोरा में नगर पालिका से नगर परिषद बनी है। उद्यानों में बोर्ड पर नगरपालिका गलती से लिखा हुआ रह गया है, जिसे बदल दिया जाएगा।-
– आशुतोष आचार्य, आयुक्त नगरपरिषद बालोतरा

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