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जच्चा-बच्चा को खतरा! : 50-60 फीसदी से अधिक गर्भवती महिलाओं की नहीं होती एचआइवी जांच

locationबाड़मेरPublished: Jan 24, 2022 09:20:30 pm

Submitted by:

Mahendra Trivedi

-एएनसी पंजीकृत महिलाओं की एचआइवी जांच जरूरी-सरकारी अस्पतालों में मिलती है जांच की सुविधा

जच्चा-बच्चा को खतरा! : 50-60 फीसदी से अधिक गर्भवती महिलाओं की नहीं होती एचआइवी जांच

जच्चा-बच्चा को खतरा! : 50-60 फीसदी से अधिक गर्भवती महिलाओं की नहीं होती एचआइवी जांच

महेन्द्र त्रिवेदी
बाड़मेर. गर्भ धारण के साथ ही प्रसव के दौरान महिलाओं की विभिन्न तरह की जांचें की जाती है, जिससे महिला किसी बीमारी से ग्रसित हो तो पता चल सके और बच्चा स्वस्थ पैदा हो। इसके चलते अन्य जांचों के साथ एक महत्वपूर्ण जांच एचआइवी की भी करवाई जाती है। लेकिन प्रदेश के आंकड़ों को देखा जाए तो एचआइवी जांच की संख्या एएनसी पंजीकृत महिलाओं के मुकाबले में आधी से भी कम है। जांच नहीं होने से जच्चा-बच्चा दोनों के संक्रमण से ग्रस्त होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। जबकि एचआइवी जांच के लिए ब्लॉक स्तर के चिकित्सा संस्थानों में इस जांच की सुविधा होती है। जिससे गर्भवती महिलाओं को जांच के लिए कहीं अन्यत्र नहीं जाना पड़ा। एएनसी में रजिस्ट्रेशन के बाद यह जांच भी उसी प्रक्रिया का हिस्सा हो जाती है, जिस तरह महिला की अन्य जांचें होती है। लेकिन एचआइवी स्क्रीनिंग काफी कम हो रही है।
बाड़मेर ब्लॉक में सबसे कम जांच
जिले में चिकित्सा विभाग के आठ ब्लॉक है। राजस्थान स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की ओर से जारी आंकड़ों (आंकड़े अप्रेल-नवम्बर 2021 तक) को देखा जाए तो पंजीयन के बाद भी एचआइवी स्क्रीनिंग के मामले में बाड़मेर ब्लॉक सबसे पिछड़ा रहा है। ब्लॉक में उक्त अवधि के दौरान 6440 गर्भवती महिलाओं का एएनसी पंजीयन हुआ, लेकिन जांच केवल 949 की ही हुई। वहीं सभी ब्लॉक में बालोतरा का कार्य अच्छा कहा जा सकता है। जहां पर कुल 8244 पंजीयन हुआ और 5519 की एचआइवी जांच हुई और 66.19 प्रतिशत लक्ष्य अर्जित किया। वहीं जिले की अर्बन यूनिट में कुल 563 का पंजीयन हुआ, यहां पर एक भी महिला की एचआइवी स्क्रीनिंग नहीं हुई।
गर्भावस्था के दौरान एचआइवी की आशंका ज्यादा
एचआइवी स्क्रीनिंग में खून के नमूने से शरीर में एंटीबॉडी की मौजूदगी का पता लगाया जाता है। एचआइवी होने की आशंका गर्भवती महिलाओं में ज्यादा रहती है। इसलिए एएनसी पंजीयन के दौरान उनका नमूना लेकर जांच करवाई जाती है। लेकिन कई मामलों में यह भी सामने आया है कि महिलाएं अन्य जांच तो करवा लेती है। लेकिन जब एचआइवी जांच की बात आती है तो आनाकानी करती है। ऐसे में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए यह सबसे बड़ी परेशानी बन जाता है।
सोसायटी ने भेजा पत्र
राजस्थान स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी निदेशक (एड्स) ने प्रदेश के सभी सीएमएचओ को पत्र भेजा है। जिसमें एएनसी पंजीकृत सभी महिलाओं की एचआइवी स्क्रीनिंग करने में सहयोग मांगा है। साथ ही एचआइवी जांच किट एमएनजेवाई, एनएचएम और आरएसएसीएस से प्राप्त करने को भी कहा है।

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