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इस मैदान में कैसे खेलें खिलाड़ी?

locationबाड़मेरPublished: Aug 26, 2019 12:00:35 pm

जसोल. कस्बे के सुआदेवी भंसाली बालिका विद्यालय का खेल मैदान बदहाल है। संसाधनों के अभाव में बालिकाएं अभ्यास नहीं कर पा रही है। ग्राम पंचायत ने 2007- 08 में खेल मैदान की चारदीवारी का निर्माण करवाया था, लेकिन बजट स्वीकृत नहीं करने से मैदान का निर्माण नहीं हो पाया। वर्तमान में खेल मैदान की चारदीवारी में बबूल की झाडिय़ां उगी हुई है। इस पर छात्राएं चाहकर भी खेल नहीं पाती हैं। इस पर सूने पड़े खेल मैदान पर कई जने यहां शौच करते हैं।

How to play in this ground?

How to play in this ground?

बबूल की झाडिय़ों से अटा खेल मैदान, कैसे खेलें खिलाड़ी

– स्टेडियम का निर्माण अधूरा, खेल मैदान बदहाल, विद्यार्थी परेशान
जसोल. कस्बे के सुआदेवी भंसाली बालिका विद्यालय का खेल मैदान बदहाल है। संसाधनों के अभाव में बालिकाएं अभ्यास नहीं कर पा रही है। ग्राम पंचायत ने 2007- 08 में खेल मैदान की चारदीवारी का निर्माण करवाया था, लेकिन बजट स्वीकृत नहीं करने से मैदान का निर्माण नहीं हो पाया। वर्तमान में खेल मैदान की चारदीवारी में बबूल की झाडिय़ां उगी हुई है। इस पर छात्राएं चाहकर भी खेल नहीं पाती हैं। इस पर सूने पड़े खेल मैदान पर कई जने यहां शौच करते हैं। इससे दूषित माहौल पर हर दिन आस-पास के लोगों को अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। पूर्व में विद्यालय की तरफ से बबूल की झाडिय़ों की कटाई करवाई गई थी, लेकिन इसके बाद किसी के मैदान निर्माण की सुध नहीं लेने पर यहां फिर से बबूल की झाडिय़ा उग आई है। इस पर बालिकाओं के लिए खेल खेलना संभव नहीं है।
खेल मैदान में बबूल की झाडि़यां – खेल मैदान में केवल चारदीवारी का निर्माण किया गया। देखरेख के अभाव में अब वहां बबूल की घनी झाडिय़ां पनपी है। पंचायत इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। इस पर खेल खेलना संभव नहीं है। – पायल प्रजापत, छात्रा
ग्राम पंचायत दे ध्यान- खेल मैदान में उगी बबूल की झाडिय़ों पर खेल खेलना संभव नहीं है। इस पर चाहकर भी खेल नहीं पाते हैं। ग्राम पंचायत बबूल झाडिय़ों की कटाई करवाएं और इसके रख-रखाव पर ध्यान दे। इससे मैदान का उपयोग किया जा सके। – राज नंदिनी, छात्रा
मैदान का नहीं हो रहा उपयोग- पूर्व में विद्यालय की तरफ से एक बार सम्पूर्ण मैदान की सफाई करवाई गई थी, लेकिन पुन: बबूल की झाडिय़ा वहां उग गई है। इस पर मैदान का कोई उपयोग नहीं हो रहा है। – शशिबाला, प्रधानाध्यापक बालिका विद्यालय जसोल
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