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केंद्र सरकार दे हरी झण्डी तो बाड़मेर तोड़ सकता है चीन का एकाधिकार, जानिए पूरी खबर

locationबाड़मेरPublished: Jan 16, 2018 08:11:56 am

Submitted by:

Ratan Singh Dave

– रेत में दबे अरबों के खजानों पर जमी है धूल

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If central govt gives green signal Chinas monopoly may break Barmer

बाड़मेर.रेत में निकले तेल के प्रस्तावित रिफाइनरी के कार्य का शुभारंभ प्रधानमंत्री मंगलवार को करेंगे। इन धोरों में खजाने और भी हैं लेकिन उनकी फाइलें दिल्ली और जयपुर के बीच अटकी हैं। सिवाना की पहाडि़यों में रेअर अर्थ का अरबों का खजाना चीन का एकाधिकार तोड़ सकता है। गुड़ामालानी के पास गैस उत्पादन की फाइल कई सालों से मंजूरी के इंतजार में है।
गुड़ामालानी के पास चार साल पहले करीब तीन लाख घनफीट का प्राकृतिक गैस का बड़ा खजाना खोजा गया। इसके उत्पादन को लेकर केन्द्र सरकार को फाइल भिजवा दी गई जो अभी विचाराधीन है।

अरबों का रेअर अर्थ
सिवाना की पहाडि़यों में 17 प्रकार के यूरेनियम ग्रुप के रेअर अर्थ मिले हैं। दुनियां में इस पर 95 प्रतिशत कब्जा चीन का है। यह बड़ी खोज है लेकिन इसको लेकर केन्द्र व राज्य में अभी तक तालमेल नहीं बैठ रहा है। लिहाजा खोज को अब आगे उत्पादन तक ले जाने की कार्रवाई लंबित है।
डीएनपी में दबा है तेल का खजाना
बाड़मेर व जैसलमेर की सीमा पर इटली की एक कंपनी ईएनआई ने 2008 के करीब तेल की खोज की थी और यहां सफलता मिलने के बाद यह कहकर इस कंपनी को लौटा दिया गया कि डीएनपी क्षेत्र में यह कार्य नहीं हो सकता। कंपनी पर तीन करोड़ का जुर्माना अलग से कर दिया गया।
पाकिस्तान में उत्खनन पर यहां नहीं
पाकिस्तान चीन मदद से दो दशक से सिंध प्रांत से लेकर पश्चिमी सीमा के इलाकों में तेल उत्खनन कर रहा है लेकिन यहां सुरक्षा प्रतिबंध और सीमा तक जाने की इजाजत नहीं मिलने से केंद्रीय गृह मंत्रालय अनुमति नहीं दे रहा है। लिहाजा सीमा क्षेत्र के धोरों में दबा हमारा तेल नहीं खोजा जा रहा है।
कोयले को भी अब कर रहे जमींदोज
एक समय लिग्नाइट कोयले को बाड़मेर की आर्थिक उन्नति बताकर यहां पावर प्लांट लगाए गए लेकिन अब कोयले को भी जमींदोज किया जा रहा है। राज्य सरकार ने शिवकर लिग्नाइट परियोजना से हाथ खींच लिए हैं। भादरेस में 660 मेगावाट की विद्युत इकाइयों की फाइल अटकी है। गिरल पावर प्लांट की 250 मेगावाट की दोनों इकाइयां बंद कर दी गई हैं।
2009 से रोड़े अटका रही सरकार
2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह बाड़मेर आए थे। उन्हांेने यहां मंगला तेल क्षेत्र से उत्पादन प्रारंभ करते वक्त कहा था कि अब इन धोरों में कृषि की जगह आयल का युग प्रारंभ हुआ है लेकिन इसको लेकर नौ साल में केन्द्र की सरकार ने रोड़े अटकाए है, काम गति से होता तो अब तक कमाल हो जाता।
यह है रोड़े
– देश में आयात होने वाले तेल पर कोई कर नहीं है और घरेलू तेल पर 18 प्रतिशत उपकर।

– 2009 में हिटिंग पाइप लाइन लगनी थी इसको डेढ़ साल तक इजाजत नहीं मिलने से 2010 के अंत में लगी।
– बाड़मेर के तेल में मोम की मात्रा ज्यादा बताकर इसमें 10 से 15 प्रतिशत प्रति बैरल डिस्काउंट दिया गया है जो करोड़ों रुपए है।
– 2020 तक का मौखिक उत्पादन साझा अनुबंध केयर्न को अब दिया है लेकिन अडंग़ा है कि हिस्सेदारी बढाई जाए एेसे में बात आगे नहीं बढ़ी है।

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