उदाराम ने बताया कि पाकिस्तान में उनके परिवार पर खतरा हो गया, उनके साथ कुछ भी हो सकता है। इस िस्थति में वहां से निकलने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं था। पाकिस्तान से ही वह पूरे परिवार का परिवार का भारत का वीजा लेना चाहते थे, लेकिन वीजा लेने के लिए सरकारी दफ्तर जाते ही जान पर बन आती। इसलिए उन्होंने भारत का वीजा लेने की बजाय दुबई जाना ठीक समझा। उन्होंने सोचा कि दुबई से नेपाल चले जाएंगे और नेपाल में भारत का वीजा ले लेंगे। पाकिस्तान से दुबई के रास्ते परिवार सहित वह नेपाल तो पहुंच गए, लेकिन वहां पहुंचने पर पता चला कि भारत का वीजा वह अपने देश पाकिस्तान से ही ले सकते हैं। नेपाल में सलाह मिली कि वह वापस पाकिस्तान चले जाए। ऊहापोह की िस्थति में नेपाल में प्ंद्रह दिन बीत गए। उदाराम बताते हैं कि वापस पाकिस्तान जाना खतरे से खाली नहीं था, इसलिए वह बिना वीजा परिवार सहित भारत में प्रवेश कर गए।
बेटियों को उठाने की धमकियां
बेटियों को उठाने की धमकियां
उदाराम की पत्नी राणी ने बताया कि कुछ दिन पहले उसके एक बेटे का पाकिस्तान में अपहरण हो गया था। अपहरण करने वालों ने फिरौती की रकम मांगी थी, उनके पास देने के लिए पैसा नहीं था। बाद में उन्होंने बेटे को तो छोड़ दिया, लेकिन बार-बार धमकियां मिल रही थी कि बेटियों को उठाकर ले जाएंगे। इस िस्थति में उनके पास पाकिस्तान छोड़कर भारत आने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।
नेपाल से पैदल आए भारत उदाराम व राणी के बेटे राजेश मेघवाल ने बताया कि उसके भाई की किडनैपिंग के बाद परिवार को लगातार धमकियां मिल रही थी। हमारे साथ कभी भी कुछ भी हो सकता था। वहां से निकलने में ही हमारी भलाई थी। नेपाल पहुंचने के बाद जब भारत का वीजा नहीं मिला तो हम पैदल ही नेपाल सीमा पार कर भारत में आ गए। भारतीय सीमा में किसी स्थान से उन्हें एक गाड़ी मिली, जिसमें बैठकर वह आगे बढ़े और जोधपुर होते हुए बाड़मेर पहुंच गए।
फिलहाल यह हाल पाकिस्तान से जान बचाकर भारत पहुंचा उदाराम मेघवाल का परिवार भारत में बसना चाहता है। सीआईडी कार्यालय बाड़मेर में उन्होंने यह प्रार्थना पत्र दिया है कि उन्हें धोरीमन्ना के रोहिला गांव में विभाजन पूर्व के अपने परिवार के साथ रहने दिया जाए। सीआईडी ने गृहमंत्रालय से इस परिवार के विषय में मार्गदर्शन मांगा है। फिलहाल यह परिवार रोहिला में है।