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अमर हो इनके चांद

locationबाड़मेरPublished: Oct 24, 2021 06:26:14 pm

Submitted by:

Ratan Singh Dave

बोळा गांव की चतरूदेवी को लगा कि उसका चांद अब किडनी खराब होने से साथ छोड़ जाएगा तो अपनी किडनी देकर बचा लिया।

अमर हो इनके चांद

अमर हो इनके चांद

अमर हो इनके चांद
बाड़मेर पत्रिका.
बोळा गांव की चतरूदेवी को लगा कि उसका चांद अब किडनी खराब होने से साथ छोड़ जाएगा तो अपनी किडनी देकर बचा लिया। शहर की शर्मिला(बदला हुआ नाम) दुर्घटना से दो साल से चारपाई पर आए अपने सुहाग की रक्षा के लिए दिन-रात सेवा में जुटी है। शहीद भीखाराम को पाकिस्तान के कू्ररता का शिकार होना पड़ा और टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे। वीरांगना भंवरीदेवी गर्व से कहती है मेरा चांद तो राष्ट्र की भाल पर चमक रहा है। करवा चौथ पर सुहागिनों ने व्रत रखकर सुहाग के अजर-अमर और खुशहाल होने की कामना कर रही है तो जिले में सुहागिनों की विशेष कहानियां पत्रिका के साथ-
नाज: अजर और अमर हो गए..13 चांद
जिले में 1944 से अब तक 28 शहीद हुए है। इनमें से 13 शहीदों की आश्रित पत्नियां है। शहीद भीखाराम पातासर की वीरांगना भंवरीदेवी करगिल युद्ध 1999 में पति पर आज भी नाज करती है। वो उसकी शहादत पर गौरव करते हुए कहती है कि उसके चांद तो राष्ट्र की भाल पर लग गया है। शहीद पे्रमसिंह की वीरांगना रैना देवी कहती है कि देश के हित में प्राण देकर उनके चांद ने सिर गौरव से ऊंचा किया है।
फक्र: 1971…किसी का चांद मिला तो किसी का न मिला
देश 1971 के युद्ध की जिले की सिणधरी, बायतु, रामसर के करीब 10 जवान शहीद हुए। इन जवानों में से कईयों के शरीर युद्धभूमि में ही रह गए तो किसी का शव दस दिन और महिनाभर बाद पहुंचा। अपने चांद के इंतजार में रही वीरांगनाओं को आज भी उनके चेहरे के अंतिम दर्शन का अवसर नहंीं मिला। वे कहती है कि उनका चांद…अमर हो गया…बस, एक शिकवा है….एक बार उसे देख लेती…..।
दर्द: कोरोना निगल गया इनके…100 चांद
कोरोनाकाल में जिले में 246 लोगों की मृत्यु हुई। इसमें से 158 के करीब पुरुष है। 100 से अधिक महिलाओं ने अपना सुहाग खो दिया। कोरोना ने इनके चांद इनसे छीन लिए। ये महिलाएं कोरोना के दर्द को कभी नहीं भूल सकती है।
खुशी: पाक से भारत आ गए…03 चांद
बाड़मेर-जैसलमेर जिले की तीन बहूओं के लिए यह करवा चौथ खास है। बहिया और गिराब गांव की इन तीन बहूओं का पीहर पाकिस्तान में है। पुलवामा हमले से पहले इनकी शादी हुई और फिर पाकिस्तान ने वीजा जारी नहीं किया। पत्रिका ने पिछली करवा चौथ को ला दो इनके चांद, रह गए पाकिस्तान शीर्षक से समाचार श्रृंखला प्रकाशित की, परिणामस्वरूप इनका वीजा बना और इनके लिए यह पहली करवा चौथ है। वे अपने ससुराल में करवा चौथ मनाएगी।
संग-संग रहते है..सैकड़ों चांद
कोरोनाकाल में सीमा के सुदूर गांवों तक वैक्सिन पहुंचाने का दायित्व निभाया नर्सेज ने। बंधड़ा, खबड़ाला, रोहिड़ला, समद का पार, द्राभा जैसे दूरस्थ गांवों में एएनएम की ड्युटी लगी है जो इतने दूर है कि यहां अकेली महिला का रहना मुश्किल है। ऐसे में इन महिला नर्सेज के पति इनके साथ रहते है। सरकारी नौकरी में पत्नी है। बंधड़ा में विजय चौधरी कहते है कि पत्नी के साथ यहां रहता हूं।
गुमशुदा है…..55 चांद
जिले में 55 महिलाएं है, जिनके पति गुमशुदा है। इनकी तलाश पुलिस कर रही है। कोई दस साल से पति के लौटने का इंतजार कर रही है तो किसी को 30 साल से सुहाग के नहीं आने का दर्द साल रहा है। हर करवा चौथ पर ये महिलाएं इसी आस-उम्मीद से व्रत रखती है कि कोई खबर उनके चांद की आ जाए।
सेवा ही धर्म.. इसलिए जीने लगे है 05 चांद
शहर में दो महिलाएं और दो पुरुष है जिनकी रीढ़ की हड्डी दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गई। अब इनके लिए बिस्तर से उठना मुश्किल हो गया है। इनकी सेवा दिन-रात पत्नी कर रही है। डा. श्रीधर पारीक कहते है कि दो और तीन साल से इन मरीजों का उपचार कर रहा हूं। परिवार में महिला की सेवा से ही इनको सहारा मिल रहा है।
किडनी देकर बचा लिए….12 चांद
जिले में ऐसे महिलाएं है जिन्होंने अपने सुहाग को खुद की किडनी देकर जान बचा ली। बोळा निवासी चंद्रादेवी पत्नी चुतराराम निवासी बोळा, शहर की निवासी डा. स्नेहा सहित करीब एक दर्जन महिलाएं जिलेभर में है जिन्होंने किडनी दान की है। शहर के गांधीनगर निवासी देवी को तो उनके पति खेमाराम डऊकिया ने किडनी दी है, जो विरला उदाहरण है।
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