सीमा क्षेत्र के गांवों में अभी भी परिस्थितियां विकट है। गांवों में सड़कें नहीं हैं। रास्ते इतने दुर्गम और रेगिस्तानी है कि रोजाना आना-जाना मुश्किल भरा काम है। साधन भी सीमित मिलते हैं। ऐसे में गांवों की छात्राओं के लिए रोज अन्यत्र पढ़ाई करने जाना सभी के लिए संभव नहीं हो पाता है। ऐसे में अधिकांश की पढ़ाई बीच में छूट जाती है। लेकिन कुछ बालिकाएं जो हिम्मत दिखाते हुए आगे बढ़ती जा रही हे। वहीं अभिभावक भी उनके साथ हैं।
प्रेरित करने पर बढ़ पाई आगे
प्रेरित करने पर बढ़ पाई आगे
सीमावर्ती क्षेत्र के खलीफा की बावड़ी ग्राम पंचायत की पाबूसरी गांव की दो बालिकाओं ने इस बार पहली बार गांव से 12 वीं कक्षा पास कर गांव का नाम रोशन किया। बालिकाओं का कहना है कि उनके माता-पिता ने हौसला बढ़ाया और 6 किलोमीटर दूर खलीफा की बावड़ी पढऩे के लिए भेजा। समाजसेवी प्रेमाराम मेघवाल ने भी बालिकाओं का उत्साह बढ़ाते हुए प्रेरित किया। जिसकी वजह से आज वे 12वीं कक्षा कक्षा उत्तीर्ण कर पाई।
यह है बालिकाओं का दर्द
यह है बालिकाओं का दर्द
सीमावर्ती क्षेत्र की अधिकांश बालिकाओं का दर्द यह है कि वे आगे की पढ़ाई जारी नहीं रह सकती हैं। क्योंकि उनके गांव-ढाणी से कई मीलों दूर पढऩे के लिए जाना पड़ता है। बॉर्डर क्षेत्र के कई गांव तो ऐसे हैं जहां पर अभी तक सड़क मार्ग भी नहीं उपलब्ध है। साइकिल पर रोजाना जाकर पढऩा भी संभव नहीं हो पाता है। कई गांवों की दूरी ज्यादा होने के कारण अभिभावक बालिकाओं को आगे पढ़ाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं।
तहसील में एकमात्र बालिका विद्यालय
तहसील में एकमात्र बालिका विद्यालय
तहसील क्षेत्र में एकमात्र गडरारोड में ही बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय है। कला वर्ग में कस्बे की कई बालिकाओं ने अच्छे अंकों के साथ परचम लहराया है। ग्रामीण क्षेत्र में रहने के बावजूद बालिकओं ने 80-90 फीसदी तक अंक अर्जित किए हैं। बालिकाओं ने विद्यालय का परिणाम भी शत-प्रतिशत कर दिया। इससे सुदूर गांव ढाणी की बालिकाओं के भी मन में आगे पढऩे की इच्छा रहती है लेकिन संसाधनों के अभाव में गडरारोड तक नहीं आ पाती है।
आवासीय छात्रावास की दरकार
आवासीय छात्रावास की दरकार
ग्रामीणों की मांग है कि तहसील मुख्यालय गडरारोड पर बालिका आवासीय छात्रावास बनाना चाहिए। इससे दूरस्थ क्षेत्र में रहने वाली बालिकाएं यहां रहने के साथ अपनी पढ़ाई पूरी कर सके। गांवों में रहने के कारण उनकी आठवीं के बाद पढ़ाई छूटती जा रही है। इससे बेटियां चाहकर भी आगे नहीं बढ़ पा रही है।
यह बोली बेटियां
यह बोली बेटियां
गांव से स्कूल काफी दूर है। आने-जाने में परेशानी तो होती थी। माता-पिता ने हमारा उत्साह बढ़ाया तो हम आगे बढ़े। शिक्षित होना आज की जरूरत है।
-मंजूला, छात्रा गांवों में बालिका शिक्षा के लिए सुविधाएं बढऩी चाहिए। जिससे बालिकाएं शिक्षित होने के साथ आगे बढ़े और अपने सपनों को पूरा कर पाएं।
-ललिता कुमारी, छात्रा
-मंजूला, छात्रा गांवों में बालिका शिक्षा के लिए सुविधाएं बढऩी चाहिए। जिससे बालिकाएं शिक्षित होने के साथ आगे बढ़े और अपने सपनों को पूरा कर पाएं।
-ललिता कुमारी, छात्रा