आत्मनिर्भर भारत के लिए इससे बड़ा कदम क्या होगा कि यह खजाना मिलते ही भारत 30 प्रतिशत तक निर्यात करेगा और विश्व में चीन की मोनोपॉली को भी धोबी पछाड़ मिल जाएगा। वर्ष 2010 में यह पुष्टि हुई कि बाड़मेर के सिवाना क्षेत्र के राखी, कमठाई, दांता, लंगेरा, फूलन और डंडाली में रेअर अर्थ(दुर्लभ खनिज) का खजाना है। इसमें यूरेनियम के भण्डार है। 2015 में कर्नाटक की पीएमसीएल कंपनी की ने यहां काम किया और इसके प्रमाणों की पुष्टि कर दी।
भारत सरकार के जीआलोजिक सर्वे में भी यह स्पष्ट होने के बाद केन्द्र सरकार के पास खनन व खोज के लिए मामला गया और वहीं अटक कर रह गया। 17 प्रकार के दुर्लभ खनिज
गैलेनियम, रूबीडियम, इप्रीयम, थोरियम, यूरेनियम, जर्मेनियम, सीरियम, टिलूरियम सहित करीब 17 प्रकार के दुर्लभ खनिज मौजूद है। यहां आते है काम अंतरिक्ष क्षेत्र, सौर ऊर्जा, सामरिक, केमिकल इंडस्ट्री, सुपर कंडक्टर, हाई प्लास, मैग्रेट, इलेक्टोनियम, पॉलिसिंग, ऑयल रिफाइनरी, हाइब्रेड सहित कई जगह काम में आते है।
विश्व में कहां-कहां 97 प्रतिशत चीन में इसके अलावा आस्ट्रेलिया, ब्राजिल, भारत, अमेरिका, मलेशिया और भारत में। भारत में अभी 2.5 ्रपतिशत है जो केरल, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में है। चीन ने निर्यात कम कर दिया
चीन 2010 तक इसका 97 प्रतिशत निर्यात कर रहा था लेकिन अब चीन ने इसका निर्यात कम कर दिया है। दाम बढ़ाकर भी चीन अपनी मोनोपॉली कर रहा है। भारत बनेगा आत्मनिर्भर प्री केबिन काल में 20 किमी का एक उल्कापिण्ड सिवाना की पहाडिय़ों में गिरा, जिसने रिंग जैसी आकृति बना ली थी। कालांतर में यहां कार्बोनेट वैक्स बनी और इसके बाद में यह 17 रेअर अर्थ। इसके संकेत मिलने के बाद में भारत सरकार ने इस पर गंभीरता से कार्य नहीं किया है।
यदि इस खजाने पर काम हों तो करीब 30 प्रतिशत तक भारत निर्यात करेगा। इससे आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ेगा। -प्रो.एससी माथुंर, भू वैज्ञानिक