ईसबगोल की फसल का मौसम व बीमारियों से बचाव जरूरी
Updated: 16 Jan 2021, 08:17 PM IST
बाड़मेर. ईसबगोल एक प्रमुख नगदी फसल है। ईसबगोल की खेती जालोर, सिरोही, जोधपुर, बाड़मेर जिले में प्रमुखता से की जाती है। बाड़मेर जिले में लगभग 1 लाख हैक्टेयर में ईसबगोल की बुवाई की गई है। ईसबगोल की फसल को मौसम व बीमारियों से बचाना जरूरी है। यह बात कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी डॉ. प्रदीप पगारिया ने हनुमानराम देवासी देवासियों की ढाणी के खेत पर ईसबगोल की फसल का अवलोकन करते हुए कही।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में मौसम में हो रहे परिवर्तन को देखते हुए ईसबगोल में विभिन्न प्रकार के रोग आने की संभावना है । उन्होंने बताया कि ईसबगोल में पत्ती धब्बा या अंगमारी रोग लगने पर पत्तियां झुलस जाती है। इस पर मैंकोजेब दवा का ०.२ प्रतिशत पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें।
आवश्यकता होने पर दूसरा छिडक़ाव करें। तुलासिता रोग के कारण पौधे पर सफेद रंग का पाउडर दिखाई देता है तथा बीज नहीं बनता। फसल में 50-ं60 दिन की अवस्था पर तुलासिता रोगहोने पर मैंकोजेब के 0.2 प्रतिशत घोल या रिडोमिल एम जेड 78 का 0.1 किलोग्राम पानी में घोल कर प्रति हैक्टेयर छिडक़ाव करें। आवश्यकतानुसार 15 दिन बाद पुन: दोहराएं। कीट व रोग प्रबंधन के लिए 2 पीले चिपचिपे पांच प्रतिशत प्रति हैक्टेयर की दर से लगाएं। पगारिया ने बताया कि मृदा में बेवेरिया बेसियाना (5 किग्रा प्रति हैक्टेयर) और पर्णीय छिडक़ाव के रूप में (नीम ़ धतूरा ़ आक) 1:1:1 अनुपात में घोल (10.0 प्रतिशत) एवं गोमूत्र (10.0 प्रतिशत) का प्रयोग करें। २७५.बाड़मेर. ईसबगोल की फसल का अवलोकन करते कृषि विशेषज्ञ।
अब पाइए अपने शहर ( Barmer News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज