पिछले तीन दिनों में जिसने सामयिक की, तप किया, सुविधाओं का त्याग किया, अच्छा आचरण किया, सत्य का मार्ग अपनाया है, गलत खाना-पीना छोड़ा है वह बधाई का पात्र है। जो कुछ मिलता है, वह ध्वनि भी प्रतिध्वनि है, क्रिया की प्रतिक्रिया है। हजारों कर्मों के आधार पर ही हम सुख-दुख, धन-वैभव, मान-अपमान पाते हैं। पर्युषण आत्मा के पास आकर जीवन की सुवास पाने के लिए है। कल्पसूत्र हमें सिखाते हैं कि जीवन कैसे जीना। सुख में इतराना नहीं और दुख में घबराना नहीं।
भगवान महावीर ने पढ़ाया अहिंसा का पाठ
साध्वी सुरंजनाश्री ने जैन न्याति नोहरे में कल्पसूत्र का वाचन करते हुए कहा कि जैन ग्रन्थों के अनुसार समय-समय पर धर्म तीर्थ के प्रवर्तन के लिए तीर्थंंकरों का जन्म होता है, जो सभी जीवों को आत्मिक सुख प्राप्ति का उपाय बताते हंै। तीर्थंकरों की संख्या चौबीस ही कही गई है।
साध्वी सुरंजनाश्री ने जैन न्याति नोहरे में कल्पसूत्र का वाचन करते हुए कहा कि जैन ग्रन्थों के अनुसार समय-समय पर धर्म तीर्थ के प्रवर्तन के लिए तीर्थंंकरों का जन्म होता है, जो सभी जीवों को आत्मिक सुख प्राप्ति का उपाय बताते हंै। तीर्थंकरों की संख्या चौबीस ही कही गई है।
भगवान महावीर अंतिम और ऋषभदेव पहले तीर्थंकर थे। हिंसा, पशुबलि, जात-पात का भेद-भाव जिस युग में बढ़ गया, उसी युग में भगवान महावीर का जन्म हुआ। उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया।
कल्पसूत्र में नवकार मंत्र की महिमा साधना भवन में आचार्य कवीन्द्रसागरसूरीश्वर ने कहा कि कल्पसूत्र में नवकार मंत्र की महिमा का उल्लेख प्रथम अध्याय में करते हुए बताते हंै कि नवकार जैनधर्म का सार है। इसमें 24 तीर्थंकरों का निवास है। सभी साधक आत्माओं को नमस्कार किया गया है। इसमे निहित 68 अक्षर अद्भुत और चमत्कारी हैं।