यह था मामला गौरतलब है कि 16 अगस्त को बालोतरा थाने में कालूड़ी निवासी दिनेश कुमार मेघवाल ने 17 लोगों के खिलाफ नामजद मामला दर्ज करवाया। इसमें उसने राजपुरोहित समाज के लोगों पर बहिष्कृत करने, हुक्का-पानी बंद करने तथा सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी का आरोप लगाया। इसके बाद दोनों पक्षों की ओर से कई बार विरोध-प्रदर्शन हुए। इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार भी किया। वहीं शुक्रवार को राजस्थान उच्च न्यायालय ने इस मामले को लेकर एफआइआर क्रियान्वयन पर रोक लगाई है।
इधर, एफआइआर के क्रियान्वयन पर रोक
राजस्थान हाईकोर्ट ने बाड़मेर जिले के बालोतरा तहसील के गांव कालूड़ी निवासी राजपुरोहित समाज के लोगों की ओर से सीआरपीसी धारा 482 के तहत दायर विविध अपराधिक याचिका की सुनवाई में संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब करते हुए तब तक के लिए एफआइआर के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। जस्टिस डॉ. पुष्पेन्द्रसिंह भाटी ने शुक्रवार को यह आदेश याचिकाकर्ता धनसिंह व अन्य की याचिका की सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए दिए। याचिकाकर्ताओं ने उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट 1989 की धाराओं के तहत दायर एफआइआर को निरस्त करने की गुहार लगाई है। शिकायतकर्ता दिनेश उर्फ दानाराम ने गांव में रहने वाले राजपुरोहित समाज के 70 परिवारों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत एफआइआर दर्ज कराई थी। दिनेश का आरोप था कि राजपुरोहित समाज के लोगों ने दलित समाज की लोगों का बहिष्कार किया हुआ है और वे दलित समाज के लोगों को गांव के कुओं पर पानी नहीं भरने देते, स्कूल व मंदिर भी नहीं जाने देते। सुनवाई के दौरान याचिककर्ताओं की ओर से अधिवक्ता एसपी शर्मा व जसराज राजपुरोहित ने पैरवी।
राजस्थान हाईकोर्ट ने बाड़मेर जिले के बालोतरा तहसील के गांव कालूड़ी निवासी राजपुरोहित समाज के लोगों की ओर से सीआरपीसी धारा 482 के तहत दायर विविध अपराधिक याचिका की सुनवाई में संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब करते हुए तब तक के लिए एफआइआर के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। जस्टिस डॉ. पुष्पेन्द्रसिंह भाटी ने शुक्रवार को यह आदेश याचिकाकर्ता धनसिंह व अन्य की याचिका की सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए दिए। याचिकाकर्ताओं ने उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट 1989 की धाराओं के तहत दायर एफआइआर को निरस्त करने की गुहार लगाई है। शिकायतकर्ता दिनेश उर्फ दानाराम ने गांव में रहने वाले राजपुरोहित समाज के 70 परिवारों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत एफआइआर दर्ज कराई थी। दिनेश का आरोप था कि राजपुरोहित समाज के लोगों ने दलित समाज की लोगों का बहिष्कार किया हुआ है और वे दलित समाज के लोगों को गांव के कुओं पर पानी नहीं भरने देते, स्कूल व मंदिर भी नहीं जाने देते। सुनवाई के दौरान याचिककर्ताओं की ओर से अधिवक्ता एसपी शर्मा व जसराज राजपुरोहित ने पैरवी।