तीन वर्ष तक के बच्चों पर खर्चा- 1,35,80,190
गर्भवती व किशोरी बालिकाएं- 86,66,130 कुल खर्चा- 3,54,80,820
नाश्ते का नाम, देते हैं गुड़-चना
आंगनबाड़ी केन्द्रों पर प्रतिदिन तीन से छह वर्ष तक के बच्चों को नाश्ता देने का प्रावधान है। इन्हें नाश्ते के नाम पर चने व गुड़ दिया जाता है। कई जगह तो इससे उकताए बच्चे घर से खाना लेकर आते हैं।
नियमों को टांग कर यूं करते हैं मिलीभगत नियम– विकेन्द्रीकृत व्यवस्था रहेगी। स्वयं सहायता समूह ही गरम खाने, नाश्ते व प्रति सप्ताह आहार के पैकेट की व्यवस्था करेंगे। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता स्वयं व उनके परिजन इसमें शामिल नहीं होंगे। इसका खर्चा समूह के खाते में जाएगा।
खेल– नाम समूह का रहता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता खुद ही नाश्ता पकाती है या फिर घर व अन्य परिजनों से लेकर आती है। राशि तो समूह के खाते में आती है लेकिन फिर उसे निकालकर बंदरबांट चलती है।
यह भी गड़बड़ी
कागजों के अनुसार जिले में प्रतिदिन 174119 बच्चे, 48578 गर्भवती महिलाएं व 3191 किशोरी बालिकाएं लाभान्वित होती है। इस आंकड़े के अनुसार ही कार्यालय व्यय, भ्रमण व प्रशिक्षण की राशि आती है, लेकिन वास्तविकता में लाभान्वित नगण्य ही रहते हैं। फिर सवाल कि राशि जाती कहां है?