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दसवीं के बाद सिर्फ इतिहास का ज्ञान, वाणिज्य की पढ़ाई ना विज्ञान?

locationबाड़मेरPublished: Jul 08, 2019 08:34:05 am

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Knowledge of history only after tenth, science or science?

Knowledge of history only after tenth, science or science?

दसवीं के बाद सिर्फ इतिहास का ज्ञान, वाणिज्य की पढ़ाई ना विज्ञान?

– सिवाना व पादरू के बालिका विद्यालयों में कला संकाय का संचालन, चिकित्सक, सीए व इंजीनियर बनने का

सपना देखने से पहले ही हो रहा धूमिल
सिवाना. उपखण्ड सिवाना एवं पादरू में चार दशक से संचालित बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अध्धयनरत छात्राओं के लिए एक मात्र कला संकाय ही पढऩा मजबूरी बना हुआ है। लोगो की मांग के बावजूद अतिरिक्त विषयों के संकाय नहीं खुलने के कारण छात्राओं को शिक्षा के अलग-अलग क्षेत्रो में आगे बढऩे का मौका नहीं मिल पा रहा है। विज्ञान व वाणिज्य संकाय नही खुलने के कारण इकोनॉमिक्स, अकाउंट, इंजीनियरिंग एवं चिकित्सा क्षेत्र में आगे बढऩे का लक्ष्य रखने वाली कई प्रतिभावान छात्राओं को दसवीं के बाद मन मसोस कर कला वर्ग की पढ़ाई करनी पड़ रही है।
सिवाना मुख्यालय पर चार दशक से बालिकाओं के लिए अलग से उच्च माध्यमिक स्तर की शिक्षा अर्जित करने के लिए विद्यालय संचालित है। यहां वर्तमान में करीब 400 छात्राएं पढ़ती है, लेकिन दसवीं उत्तीर्ण करने के बाद छात्राओं को कला वर्ग संकाय में पढऩा पड़ता है। उच्च शिक्षा के महाविद्यालय तो है, लेकिन विज्ञान व वाणिज्य जैसे मनपसन्द संकाय के लिए उन्हें या तो छात्रों के साथ राउमावि में प्रवेश लेने पर विवश होना पड़ता है या फिर अन्यत्र शहरों में जाना पड़ता है। यही स्थिति पादरू कस्बे में है। जहां तीन दशक से राजकीय आदर्श बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय की है। वहां छात्राओं को दसवीं के बाद कला वर्ग में ही प्रवेश लेना पड़ता है। दूसरा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि छात्रों की उमावि पादरू में भी चार दशक से एक मात्र कला वर्ग ही संचालित हो रहा है। जिसके चलते पादरू सहित पादरू के आस-पास की एक दर्जन ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर राउमावि की ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र की छात्राओं को कला वर्ग संकाय में ही पडऩे की मजबूरी की समस्या से रूबरू होना पड़ता है।
अभिभावक नहीं भेजने विद्यालय- दसवीं के बाद बारहवीं व कॉलेज में विज्ञान व वाणिज्य विषय में को-एज्युकेशन के चलते छात्रों के साथ पढऩा पड़ता है। अधिकांश अभिभावक छात्रों के साथ पढ़ाने की जगह कला वर्ग में ही पढ़ाई करवाना उचित समझते हैं। एेसे में छात्राएं मजबूरन वाणिज्य व विज्ञान का सपना छोड़ कला वर्ग की पढ़ाई करती हैं।
मांग के बावजूद नहीं खुल रहा संकाय-

सिवाना के राजकीय आदर्श बालिका उमावि में लम्बे समय से विज्ञान, कृषि व वाणिज्य संकाय खोलने की मांग करने के बावजूद कोई कार्यवाही नही हो पा रही है। जिसके चलते सिवाना सहित आसपास की डेढ़ दर्जन ग्राम पंचायतों में संचालित राउमावि की सैकड़ों छात्राओं को मनपसन्द संकाय में पढऩे की समस्या से रूबरू होना पड़ रहा है। – लच्छीराम माली, पूर्व वार्डपंच सिवाना
प्रतिभावान बालिकाओं का टूट रहा सपना- पादरू के बालिका उमावि एवं राउमावि दोनों में दशकों से एक मात्र कला संकाय ही संचालित होने के कारण प्रतिभावानों को अलग-अलग क्षेत्रो में आगे बढऩे व पढऩे का मौका नहीं मिल पा रहा है। विशेषकर छात्राओं को भारी परेशानी को देखते हुए अतिरिक्त संकाय खोले जाएं। उनका आगे बढऩे का सपना टूट रहा है। – बींजाराम, सरपंच पऊ
विधानसभा के जरिए रखी मांग- विधानसभा क्षेत्र के अभावग्रस्त कस्बों के उच्च शिक्षा के विद्यालयों में अतिरिक्त संकाय खोलने की पूर्व में विधानसभा के जरिए शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों से मांग की हुई है। – हमीरसिंह भायल, विधायक सिवाना

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