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देश पर न्योछावर होने वाले शहीद पीराराम को 4 साल के पुत्र ने दी मुखाग्नि, देखने वालों की छलक पड़ी आंखें

locationबाड़मेरPublished: Nov 26, 2019 09:01:26 pm

Submitted by:

abdul bari

शहदात पर ऐसा हुजूम….। केवल फिल्मों और कहानियों में सुना था लेकिन आज मेरी आंखों के सामने था। गौरव और गर्व के क्षण-क्षण ने सुबह 8 से दोपहर 2.00 बजे तक रोम-रोम को उत्साहित कर दिया। शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए पीराराम थोरी ( Martyrs Peeraram Thori ) की पार्थिव देह उसके गांव बाछड़ाऊ पहुंचने वाली थी।

Martyrs Peeraram Thori Funeral Procession : Army Martyrs Funeral

Martyrs Peeraram Thori Funeral Procession : Army Martyrs Funeral

बाछड़ाऊ (बाड़मेर).

शहदात पर ऐसा हुजूम….। केवल फिल्मों और कहानियों में सुना था लेकिन आज मेरी आंखों के सामने था। गौरव और गर्व के क्षण-क्षण ने सुबह 8 से दोपहर 2.00 बजे तक रोम-रोम को उत्साहित कर दिया। शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए पीराराम थोरी ( martyrs Peeraram Thori ) की पार्थिव देह उसके गांव बाछड़ाऊ पहुंचने वाली थी। तीन दिन से यह गांव और आसपास के कई गांवों के लोग एक-एक पल अपने लाडले के आने का इंतजार कर रहे थे। किसी के इंतजार में इतने लोगों का हुजूम मैने आज तक नहीं देखा… आना भी एेसा कि सदा के लिए जाना…।

पांच किलोमीटर तक कतार में लोग खड़े थे.. इतने लोग इस गांव में नहीं है लेकिन आसपास के जितने गांवों में यह खबर थी, सारा कामकाज छोड़कर आकर शहीद के सम्मान में खड़े थे। सर्दी की सुबह में महिला-पुरुष, वृद्ध, बीमार और बच्चे सभी बार-बार पीराराम अमर रहे… शहीद पीराराम अमर रहे के नारे लगा रहे थे। हर किसी के जुबान पर एक ही बात थी… अभी आ जाएगा… अभी आने वाला है..। मोबाइल पर भी कहां पहुंचे… कब तक पहुंचेंगे का सवाल था।

इंतजार खत्म हुआ और एक लंबा काफिला और सेना के वाहन सामने दिखे तो रेगिस्तान में आंखों से आंसू, दिल से जोश और देशभक्ति का ज्वार बाहर आने लगा। दूर-दूर तक हर कंठ अपनी पूरी ताकत से शहीद के जयकारे लगाते हुए आंसू थाम नहीं पा रह था… जैसे ही मुंह से निकलता पीराराम अमर रहे तो रेगिस्तान की मिट्टी में बोलने वाले के आंसू गिर पड़ते… मानो शहीद को उनकी यही सबसे बड़ी श्रद्धांजलि हों।

माहौल ऐसा था कि गांव की हर गली छोटी पड़ गई, घर के छोटे से आंगन में जहां यह शहीद पला-बढ़ा वहां तिरंगे में लिपटकर जैसे ही लाया गया तो शहीद के घर पर हुए विलाप और क्रंदन से कलेजा कंपाने लगा।

पिता, मां, भाई, दो छोटे-छोटे बेटे, पत्नी और परिजनों की आसूओं ने मौजूद सभी लोगों की आंखों में आंसू बहा दिए। साथ आए सैन्य अधिकारियों की आंखें भी नम हो गईं। पिता वगताराम ने बेटे की सूरत देखी तो बिलख पड़े। पहली बार मैंने देखा कि एक पिता अपने पुत्र को मौत पर भी आशीष दे रहा था… मानो कह रहे हों कि ‘तू मेरा नहीं देश का बेटा है’ और फिर पिता ने दोनों हाथ जोड़ दिए… मानो कह रहे हों बेटा, तूं धन्य है…। छोटे-छोटे बेटे इतनी सारी भीड़ में पापा को देखने आए तो केवल विलाप ही करते रहे… हजारों लोगों की भीड़ में ये दोनों मासूम आज खुद को अकेला महसूस कर रहे थे…।

घर के आंगन से शहीद की पार्थिव देह अंतिम यात्रा को चली। फूल, आंसू, आशीष, जयकारे की श्रद्धांजलि समर्पित थी। अंतिम विदाई के ऊंचे धोरों के आंगोश में हो रही थी। धोरे पर जहां-जहां नजर जाती लोग थे… कर चले हम फिदा का गीत गूंज रहा था… सैन्य अधिकारी सशस्त्र व सम्मान अंतिम विदाई दे रहे थे। शहीद के दो पुत्र मनोज (4) व छोटा प्रमोद (2) है। परिजन 4 वर्षीय मासूम को श्मशान घाट साथ लेकर चले। जहां उसने मुखाग्नि दी।
शहीदों की मौत पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगाा.

शहीद पीराराम थोरी की विदाई रेगिस्तान के छोटे से गांव बाछड़ाऊ की रेत के कण-कण में आज अमर हो गई…

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