कंपनी का दावा, तकनीकी सहयोग लिया
मेडिकल कॉलेज के भवन का निर्माण करने वाली कम्पनी के अनुसार उसे कार्यादेश मिलने के बाद काम शुरू करने पर बेन्टोनाइट की समस्या सामने आई थी। उसके बाद नक्शे में परिवर्तन किया गया। वहीं भवन निर्माण में खास तकनीक इस्तेमाल कर बेन्टोनाइट की खामी को दूर किया गया है।
मेडिकल कॉलेज के भवन का निर्माण करने वाली कम्पनी के अनुसार उसे कार्यादेश मिलने के बाद काम शुरू करने पर बेन्टोनाइट की समस्या सामने आई थी। उसके बाद नक्शे में परिवर्तन किया गया। वहीं भवन निर्माण में खास तकनीक इस्तेमाल कर बेन्टोनाइट की खामी को दूर किया गया है।
क्यों चुना गया इस जमीन को
मेडिकल कॉलेज के लिए प्रशासन को जमीन मुख्य सड़क व शहर के पास उपलब्ध करवानी थी। जमीन भी कम से कम पचास बीघा चाहिए थी। इतनी जमीन अन्य कहीं नहीं मिलने पर यहीं का प्रस्ताव दिया गया। तब बेंटोनाइट की समस्या का उल्लेख नहीं हुआ। भवन का टेंडर हुआ और निर्माण की बात आई तो उल्लेख किया गया। जानकार बताते हैं इस कारण भवन निर्माण की लागत भी बढ़ाई गई है।
मेडिकल कॉलेज के लिए प्रशासन को जमीन मुख्य सड़क व शहर के पास उपलब्ध करवानी थी। जमीन भी कम से कम पचास बीघा चाहिए थी। इतनी जमीन अन्य कहीं नहीं मिलने पर यहीं का प्रस्ताव दिया गया। तब बेंटोनाइट की समस्या का उल्लेख नहीं हुआ। भवन का टेंडर हुआ और निर्माण की बात आई तो उल्लेख किया गया। जानकार बताते हैं इस कारण भवन निर्माण की लागत भी बढ़ाई गई है।
फैक्ट फाइल
– 230 करोड़ होगी भवन की लागत
– 50 बीघा जमीन पर बन रहा मेडिकल कॉलेज
– 2017 में होना है कार्य पूर्ण
– 100 सीटें होंगी मेडिकल कॉलेज में क्या है बेंटोनाइट का दुष्प्रभाव
रिसाव या बरसात का पानी बेंटोनाइट की परत होने पर भूमि में उससे नीचे नहीं जा सकता। धीरे-धीरे उसका स्तर बढ़ता है और कुछ ही साल में भवन में दरारें आ जाती है और वह जर्जर होने के बाद काम का नहीं रहता।
– 230 करोड़ होगी भवन की लागत
– 50 बीघा जमीन पर बन रहा मेडिकल कॉलेज
– 2017 में होना है कार्य पूर्ण
– 100 सीटें होंगी मेडिकल कॉलेज में क्या है बेंटोनाइट का दुष्प्रभाव
रिसाव या बरसात का पानी बेंटोनाइट की परत होने पर भूमि में उससे नीचे नहीं जा सकता। धीरे-धीरे उसका स्तर बढ़ता है और कुछ ही साल में भवन में दरारें आ जाती है और वह जर्जर होने के बाद काम का नहीं रहता।
सीएनएस ट्रीटमेंट होना चाहिए
जानकारों के अनुसार बेंटोनाइट वाली जमीन के लिए अभी इलाज सीएनएस ट्रीटमेंट है। इसके तहत संबंधित जमीन से पहले बेंटोनाइट निकाला जाता है। इसके बाद वहां नदी की मिट्टी व बालू मिट्टी की परत बिछाई जाती है। इसके बाद भवन निर्माण करने पर बेंटोनाइट का असर कम होता है।
जानकारों के अनुसार बेंटोनाइट वाली जमीन के लिए अभी इलाज सीएनएस ट्रीटमेंट है। इसके तहत संबंधित जमीन से पहले बेंटोनाइट निकाला जाता है। इसके बाद वहां नदी की मिट्टी व बालू मिट्टी की परत बिछाई जाती है। इसके बाद भवन निर्माण करने पर बेंटोनाइट का असर कम होता है।