वे शिक्षण कार्य कम और बाबूगिरी ज्यादा कर रहे हैं। विद्यालय में 396 का नामांकन है। यहां बीस पद स्वीकृत है, जिसमें से प्रधानाचार्य,व्यख्याता सहित अध्यापक के 11 पद रिक्त है। यहां वरिष्ठ अध्यापक गणित के दो पद स्वीकृत है, जो लम्बे समय से खाली है।
हिंदी साहित्य व इतिहास व्याख्याता के पद भी लंबे समय से रिक्त है, जिसके चलते छात्र इन विषय की बारीकियां नहीं सीख पा रहे हैं। इसके अलावा अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान तृतीय श्रेणी द्वितीय लेवल के पद भी लम्बे समय से रिक्त होने से प्राथमिक स्तर के छात्रों की पढ़ाई पर भी पानी फिर रहा है।
सालों शिक्षक कर रहे बाबूगिरी- विद्यालय में वरिष्ठ लिपिक का पद 1992 से, कनिष्ठ लिपिक का 2002 से तथा लाइब्रेरियन का पद 2000 से रिक्त है। लिपिक के पद रिक्त होने से शिक्षकों को बाबूगिरी करनी पड़ रही हैं।
एक तरफ स्कूल में शिक्षकों का टोटा और दूसरी ओर कार्यरत अध्यापकों में से एक-दो जने बाबूगिरी करने से छात्रों की पढ़ाई चौपट हो रही है। लाइब्र्रेरियन का पद रिक्त होने से पुस्तकालय पर भी ताला लटका हुआ है।
कलस्टर योजना कोढ़ में खाज- शिक्षकों की कमी झेल रहे छोटू के आदर्श विद्यालय को कलस्टर योजना के तहत नोडल विद्यालय बनाया गया। इस पर आसपास के विद्यालयों के निरीक्षण, विभिन्न सूचनाओं के संकलन व इनको विभागीय अधिकारियों तक पहुंचाने का जिम्मा भी विद्यालय पर है। इसके चलते एक शिक्षक तो इस कार्य में भी लगा रहता है।
पद रिक्तता से दिक्कत- स्कूल में प्रधानाचार्य,व्यख्याता व शिक्षकों के पचास फीसदी पद लंबे समय से रिक्त हैं। इसके चलते पढ़ाई चौपट हो रही है। – शंकर बिश्नोई, ग्रामीण कई बार मांग, सुनवाई नहीं-
आदर्श स्कूल छोटू में लंबे समय से पचास फीसदी पद रिक्त है। रिक्त पदों पर नियुक्ति को लेकर शिक्षा विभाग को कई बार पत्र लिखा, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। – दुर्गादेेवी गौड़, सरपंच छोटू