script54 दिन में 800 ग्राम वजन बढ़ा और जिंदगी जीत गया नवजात | Newborn out of danger from efforts of doctors and nursing team | Patrika News

54 दिन में 800 ग्राम वजन बढ़ा और जिंदगी जीत गया नवजात

locationबाड़मेरPublished: May 04, 2019 03:19:23 pm

Submitted by:

Mahendra Trivedi

-गंभीर हालत में प्रसव के तुरंत बाद निजी से एसीएच अस्पताल में करवाया था भर्ती
-चिकित्सकों और नर्सिंगकर्मियों की टीम के प्रयासों से नवजात को मिला नवजीवन

Newborn out of danger from efforts of doctors and nursing team

Newborn out of danger from efforts of doctors and nursing team

बाड़मेर. सरकारी अस्पताल में एक नवजात को बचाने के लिए 54 दिन लगातार चिकित्सकों ने प्रयास किए और एक किलोग्राम का यह बच्चा शनिवार को एक किलोग्राम आठ सौ ग्राम का हुआ तो इसको घर भेजा गया। सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क उपचार के साथ ही स्वस्थ होकर जब मां को सौंपा तो उसकी आंखों में खुशी के आंसू छलक रहे थे।
चौहटन के गुमाने की तला निवासी कल्लू देवी ने 9 मार्च को शहर के निजी अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया। जन्म के समय बच्चे का वजन मात्र एक किलोग्राम होने के कारण चिकित्सकों ने उसकी क्रिटिकल कंडिशन को देखते जोधपुर जाने ले जाने की सलाह दी, लेकिन मां कल्लू व पिता कूम्पाराम व परिजन नवजात को लेकर एमसीएच यूनिट आ गए।
यहां पर डा. हरीश और उनकी टीम ने उपचार प्रारंभ किया। बच्चे को उसे सांस लेने में दिक्कत के साथ पीलिया ने भी जकड़ लिया। इस बीच सेप्टीसीमिया हो गया। इसी का परिणाम रहा कि बच्चा करीब 54 दिन में पूर्ण स्वस्थ होने के साथ वजन भी बढ़कर एक किलो 800 ग्राम हो गया। चिकित्सक बताते हैं कि अब नजवात सामान्य है, इसलिए उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर रहे हैं।
एक साल में केवल छह केस आते हैं

एमसीएच यूनिट के चिकित्सक के अनुसार एक्सट्रीम लो बर्थ कैटेगरी के ऐसे नवजात के केस साल में मात्र 5-6 ही आते हैं। ये केस मेडिकल कॉलेज स्तर के होते हैं, लेकिन चिकित्सकों की टीम ने यहां प्रथम की बजाय द्वितीय श्रेणी का चिकित्सा संस्थान होते हुए भी यह काम कर दिखाया।
अस्पताल की टीम में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हरीश चौहान, डॉ. जसराज बोहरा, डॉ. महेंद्र चौधरी, डॉ. पीडी स्वामी व नर्सिंग स्टाफ शामिल रहा। चिकित्सक से ज्यादा कौन खुश हो सकता है

सामान्य से बहुत ही कम वजन के नवजात के मामलों में बचने की संभावना काफी कम होती है। टीम ने बेहतर कार्य करते हुए अच्छी देखभाल और मेडिकेशन किया। एक नवजात को नवजीवन मिलने पर चिकित्सक से ज्यादा किसे खुशी मिल सकती है।
डॉ. हरीश चौहान, एसोसिएट प्रोफेसर, एमसीएच यूनिट मेडिकल कॉलेज अस्पताल बाड़मेर
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