सीमावर्ती बाड़मेर जिले के सुंदरा, रोहिड़ी, पांचला, मोती की बेरी, द्राभा, उनरोड़, सोलकियां तला सहित कई ऐसे गांव है जहां कोरोना संक्रमण के केस नहीं है। दरअसल, इन बॉर्डर के गांवों में सरकार की ओर से जन अनुशासन पखवाड़ा घोषित करने के बाद लोग ढाणियों में पहुंच गए। उसके बाद संक्रमण को लेकर सतर्कता बरत रहे है। इन गांवों में बाहरी लोगों का आना-जाना न के बराबर है। ऐसी स्थिति में गांव संक्रमण से सुरक्षित है। गत साल भी यहीं स्थितियां रही थी। हालांकि गांवों में चिकित्सा विभाग के चिकित्साकर्मी गांव-ढाणी पहुंच कर लोगों से समझाईस भी कर रहे है।
दूर-दूर छितराई ढाणियां
बॉर्डर के अंधिकाश गांवों में लोग दूर-दूर छितराई ढाणियां में निवासरत है। ऐसी स्थिति में सोशल डिस्टेंस का ख्याल रख लेते है। साथ ही बेवजह गांवों में लोग बाहर नहीं निकल रहे है। ऐसी स्थिति में कोरोना संक्रमण न के बराबर है। रोहिड़ी निवासी चतुरसिंह बताते है कि गांवों में शांति है, यहां लोग कोरोना संक्रमण को लेकर सतर्कता बरत रहे है।
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– सावचेती बरत रहे है,
बॉर्डर क्षेत्र के गांवों में लोग ज्यादातर ढाणियों में रहते है। प्रदेश भर में कोरोना संक्रमण के बढते प्रकोप की जानकारी के बाद ग्रामीण सावचेती बरत रहे है। हमारी पंचायत में एक भी संक्रमण का केस नहीं आया है। शहर से बहुत दूर है। बॉर्डर के गांवों में चिकित्सा व्यवस्था के भी प्रबंध नहीं है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए सामान्य बुखार होने पर गांवों में उपचार मिलना चाहिए, ताकि गांवों के लोग शहर नहीं पहुंचे और संक्रमण से बच सके। – श्यामसिंह सोढ़ा, सरंपच, ग्राम पंचायत सुंदरा
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