बाड़मेर से मुम्बई, सूरत, अहमदाबाद, वापी, नवसारी व अहमदाबाद सहित प्रदेश व देश के कई शहरों तथा गांवों के बीच निजी बसों का संचालन हो रहा है। जिले में हर रोज करीब सौ-सवा सौ बसों का संचालन होता है। इनमें हर दिन हजारों जने यात्रा करते हैं। इन बसों में भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं है। लम्बी दूरी की बसें तेज गति के साथ लगातार दस-पन्द्रह घंटे तक चलती हैं। ऐसे में यह डर रहता है कि कहीं स्पॉर्किंग या शॉर्ट सर्किट से बस आग की भेंट न चढ़ जाए। यदि कभी कोई अनहोनी हो जाए तो यहां भी न तो अग्निशमन यंत्र है और ना ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम। यहां भी कमोबेश वही स्थिति है कि आग लगने पर रेत व पानी का इंतजाम कर आग बुझाई जा सकती है।
लम्बी बसें अफरा-तफरी का खतरा
लम्बी दूरी की निजी बसें एयरकंडीशनर व स्लीपर कोच होने से सामान्य बसों से लम्बी होती हैं। एेसे में अनहोनी होने पर यात्रियों में उतरने को लेकर अफरा-तफरी मच सकती है। एेसे में इनमें सुरक्षा को लेकर कम से कम दो अग्निशमनयंत्र की जरूरत होती है, लेकिन इनमें एक भी यंत्र नहीं होता। विशेषकर एसी बसों में तो खतरा बहुत ज्यादा होता है।
लम्बी दूरी की निजी बसें एयरकंडीशनर व स्लीपर कोच होने से सामान्य बसों से लम्बी होती हैं। एेसे में अनहोनी होने पर यात्रियों में उतरने को लेकर अफरा-तफरी मच सकती है। एेसे में इनमें सुरक्षा को लेकर कम से कम दो अग्निशमनयंत्र की जरूरत होती है, लेकिन इनमें एक भी यंत्र नहीं होता। विशेषकर एसी बसों में तो खतरा बहुत ज्यादा होता है।
हर बस राम भरोसे
लम्बी दूरी की बसों के अलावा जिले व आसपास के जिलों तक गांव-गांव व ढांणी-ढाणी तक निजी बसें भी काफी तादाद में चल रही हैं। इन बसों में यात्रियों को ठूस कर भरा जाता है और सुरक्षा इंतजाम नहीं होते।
लम्बी दूरी की बसों के अलावा जिले व आसपास के जिलों तक गांव-गांव व ढांणी-ढाणी तक निजी बसें भी काफी तादाद में चल रही हैं। इन बसों में यात्रियों को ठूस कर भरा जाता है और सुरक्षा इंतजाम नहीं होते।