चिलानाडी, भगवानपुरा, सांगरानाड़ी, नवातला, नवोडा बेरा सहित कई गावों में दशकों पुराने कुएं रखरखव के अभाव में बदहाल है। इन कुओं ने सालों तक लोगों की प्यास बुझाई तो पशुधन भी यहां पानी पीने आता था। इसके बाद सरकार ने गांवों में टयूबवेल और ओपन वेल खुदवाएं तो लोगों ने इनकी ओर ध्यान देना बंद कर दिया। एेसे में यहां लोगों की आवाजाही और पनिहारिनों की चहल-पहल बंद हो गई। अब इनकी कोई सुध नहीं ले रहा।
हो सकता है उपयोग- गर्मी में पानी की कमी के चलते आमजन को पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। पेयजल व्यवस्था सुचारू रखना जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग(जलदाय विभाग ) के लिए समस्या रहती है। एेसे मे प्रशासनिक स्तर पर प्रयास कर इन परम्परागत जल स्रोतों पर विद्युत कनेक्शन करवा मशीन लगा पेयजल आपूर्ति की जा सकती है।
प्रयास करने पर फायदा-इन कुओं पर सरकार या जलदाय विभाग की ओर से प्रयास कर मशीनरी लगाई जाए तो पेयजल समस्या के समाधान में मदद मिल सकती है। अभी ग्रामीण आठ सौ-नौ सौ रुपए देकर पानी खरीदने को मजबूर है। – रामाराम देवासी, मेडीवासन
मोल पानी खरीदने को मजबूर– रावली बेरी गांव में कुआं बदहाल है। विद्युत कनेक्शन कर पेयजल समस्या का हल किया जा सकता है। लोग पानी खरीद कर प्यास बुझा रहे हैं। – रावलराम प्रजापत, रावली बेरी