बाड़मेर की धरा रेतीले धोरों की है। यहां का मुख्य उत्पादन बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार आदि है, लेकिन पिछले दो दशक से यहां सिंचित खेती को लेकर रुझान बढ़ा है। एेसे में यहां खजूर, अनार, जीरा, ईसबगोल का उत्पादन भी प्रचुर मात्रा में होने लगा है। इससे उत्साहित किसान नवीन प्रयोग भी करने लगे हैं। इसी कड़ी में मिठड़ी खुर्द के उम्मेदाराम ने अमरीकन मक्का की प्रयोग के तौर पर एक हैक्टेयर में बुवाई की। अब फसल तैयार है। एक हैक्टेयर में करीब बीस क्ंिवटल मक्का उत्पादित होने का अनुमान है। मक्का के लिए बाड़मेर की आबोहवा अनुकूल नहीं मानी जाती है। लेकिन बदले मौसम के चलते अब यहां का वातावरण इसके अनुकूल हो रहा है। एेसे में उम्मीद है कि आने वाले सालों में यहां मक्का का उत्पादन भी भरपूर मात्रा में होगा।
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एक फीट का भुट्टा मक्का की तैयार फसल में लगा भुट्टा करीब एक फीट का है। यहां के मीठे पानी के चलते इसकी मिठास भी बढि़या बताई जा रही है। इतना ही नहीं जैविक खेती को लेकर भी ध्यान रखा गया है।
एक फीट का भुट्टा मक्का की तैयार फसल में लगा भुट्टा करीब एक फीट का है। यहां के मीठे पानी के चलते इसकी मिठास भी बढि़या बताई जा रही है। इतना ही नहीं जैविक खेती को लेकर भी ध्यान रखा गया है।
प्रयोग किया सफल रहा- मक्के की पूरे देश में मांग रहती है। एेसे में नवाचार कर अमरीकन किस्म का मक्का बोया था। अब फसल लहलहा रही है। अच्छी कमाई की उम्मीद है।- उम्मेदाराम, किसान
नवाचार बनेगा वरदान- जिले में प्रयोग के तौर पर पहली बार मक्का उत्पादन किया गया है। यह प्रयोग सफल रहा है। अब अन्य किसानों के लिए भी वरदान बनेगा। क्योंकि इसकी मांग अधिक रहती है।- डॉ. प्रदीप पगारिया, केन्द्र प्रभारी, कृषि विज्ञान केन्द्र, गुड़ामालानी
नवाचार बनेगा वरदान- जिले में प्रयोग के तौर पर पहली बार मक्का उत्पादन किया गया है। यह प्रयोग सफल रहा है। अब अन्य किसानों के लिए भी वरदान बनेगा। क्योंकि इसकी मांग अधिक रहती है।- डॉ. प्रदीप पगारिया, केन्द्र प्रभारी, कृषि विज्ञान केन्द्र, गुड़ामालानी