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.हे मां..तुम बन जाओ ओरण-गोचर की रक्षक ….

locationबाड़मेरPublished: Oct 14, 2021 12:01:45 pm

Submitted by:

Ratan Singh Dave

– न्यायालय के आदेश के बावजूद अतिक्रमी काबिज- हजारों बीघा जमीन पर किए हुए है काश्त और बाड़े बनाकर अतिक्रमण

.हे मां..तुम बन जाओ ओरण-गोचर की रक्षक ....

.हे मां..तुम बन जाओ ओरण-गोचर की रक्षक ….

.हे मां..तुम बन जाओ ओरण-गोचर की रक्षक ….
– न्यायालय के आदेश के बावजूद अतिक्रमी काबिज
– हजारों बीघा जमीन पर किए हुए है काश्त और बाड़े बनाकर अतिक्रमण
बाड़मेर पत्रिका.
प्रशासन गांवों के संग शिविर में आम आदमी के हजारों कार्यों को लेकर प्रशासनिक अमला गांवों में पहुंच रहा है वहीं अब तक ओरण गोचर के मामलों को लेकर कार्यवाही नाममात्र नहीं हो रही है। ऐसे में अब ओरण-गोचर के भरोसे पल रहे पशुधन की यही दुआ है कि हे मां…तुम फिर से आओ और बन जाओ हमारी रक्षक जाओ..।
रेगिस्तान के बाड़मेर-जैसलमेर जिले में जहां जल-जमीन और पेड़ तीनों की रक्षा के लिए 11 वीं और 12 वीं सदी में एक ही कानून चलता था देवीय कानून….पशुधन के लिए ओरण-गोचर की जमीन संरक्षित कर सौगंध दिलाई जाती थी कि यहां से कोई टहनी भी नहीं काटेगा और न अतिकमण होगा लेकिन अब यह देवीय कानून गौण हो गया है और 1500 से अधिक अतिक्रमी बाड़मेर और इतने ही जैसलमेर में ओरण-गोचर की जमीन पर कब्जा जमाए बैठे है। न्यायालय के आदेश के बावजूद भी राजनीतिक संरक्षण के चलते कार्यवाही अमल में नहीं लाई जा रही।
पीएलबीसी सेल
सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमण के मामले में पीएलपीसी (पब्लिक लेण्ड प्रोटेक्शन सेल) का गठन किया हुआ है, जो जिला कलक्टर की देखरेख में कार्य करती है। न्यायालय भी प्रकरण को एक बार यहां भेजकर ताईद करवाता है।
नहीं हो सकती आवंटित
सर्वोच्च न्यायालय की ओर से जगपालसिंह बनाम स्टेट ऑफ पंजाब में निर्णय पारित कर गोचर भूमि निजी संस्थाओं/ गैर सरकारी संस्थाओं/कंपनियों को किसी प्रयोजनार्थ आवंटित नहीं करने के आदेश है।
शिथिलन यह
गोचर भूमि का क्षतिपूर्ति अर्थात गोचर के बदले अन्य भूमि गोचर घोषित कर सरकारी प्रयोजनार्थ बशतें भूमि की आवश्यकता बुनियादी ढांचा के लिए हों आवंटित की जा सकती है।
जैसलमेर में यह यह स्थिति
जैसलमेर जिले में करीब 50 हजार बीघा ओरण-गोचर भूमि है। इनमें देगराय, डेलासर, जानरा, सांखला, भादरिया, सलखा, मोकला, बेरेरी, भेलानी, आसकन्दरा प्रमुख ओरण- गोचर क्षेत्र हैं। ओरण गोचर पर अतिक्रमण की शिकायतें सैकड़ों में है।
ओरण-गोचर संरक्षण प्राथमिकता हों
ओरण गोचर में देवीय नाम होने से आस्था को लेकर मारवाड़ में इसकी रक्षा हुई लेकिन अब यह स्वभाव नहीं रहा। कानून की कड़ाई से पालना जरूरी हो गई है। सरकार ओरण-गोचर का संरक्षण करें।- डा.भुवनेश जैन, शोधकत्र्ता ओरण गोचर
तहसील – ओरण- गोचर
बाड़मेर-18668.5- 43560
शिव-56309-69798.75
गडरारोड़-84832.9-507274.80
रामसर- 10075.3-48969.40
चौहटन-23639.05-55625.85
सेड़वा-7412.35-69899.85
धोरीमन्ना- 3379.1-23691.65
गुड़ामालानी-19860.55-26057.15
सिणधरी-7171.45-17648.70
बायतु-8435.5-6149.55
गिड़ा-10670.85-8404.70
पचपदरा-18951.01-57024.75
सिवाना-9656.65-11482.86
समदड़ी-12265.6-24506
योग-291327.81-970094.01
हर दिन आदेश है
प्रशासन गांवोंं के संग ही नहीं, आम दिन में भी आदेश है कि ओरण-गोचर की जमीन पर से अतिक्रमण हटाए जाएं। इसके लिए कानून बने है।- हरीश चौधरी, राजस्व मंत्री

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