एनएचएआई की ओर से कराए जा रहे ओवर ब्रिज निर्माण में श्रम विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बाल मजदूरी पर सख्त कानून व नियम होने के बाद श्रम विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने भी एक बार भी मौके पर जाकर मजदूरों के बारे में जानकारी जुटाने की जहमत नहीं उठाई। हालत यह रही कि श्रमिक बिना सुरक्षा संसाधनों के जान जोखिम में डाल कार्य करने को मजबूर है। कुछ श्रमिकों ने बिना पहचान दिए बताया कि सर्दी के समय ठंडे पानी से ठंड भी लगती है, सेठ से जूते, सेफ्टी के लिए बेल्ट मांगे तो हमें घर भेज देंगे। श्रमिकों की इस बात से साफ जाहिर है कि श्रमिकों के साथ कितनी मनमानी की जा रही है।
शहर में ओवरब्रिज निर्माण के लिए फिलहाल इन दिनों पिलरों का निर्माण किया जा रहा है। पिलरों की ऊंचाई करीब 40 से 45 फीट है, लेकिन इतनी ऊंचाई पर श्रमिक बिना सेफ्टी बेल्ट के कार्य कर रहे है। पूरे निर्माण कार्य में कहीं पर किसी भी श्रमिक के पास सेफ्टी बेल्ट लगा नजर नहीं आया, जबकि नियमानुसार 10 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर कार्य करने के लिए श्रमिक के सेफ्टी बेल्ट लगा होना जरूरी है, ताकि ऊपर से गिर भी जाएं तो भी चोट नहीं लगें।
श्रम निरीक्षक रामचन्द्र गढ़वीर से सीधी बात- पत्रिका- आपने ओवरब्रिज निर्माण में कार्य करने वाले श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर जांच की, क्या?
जवाब- (काफी देर विचार करने के बाद)- ये सेफ्टी और बॉयलर में आता है, हमारा नहीं सेफ्टी डिपार्टमेंट का मामला है। अगर आप लिखित में दे तो देख लेंगे।
जबाव- आजकल सरकार ने लेबर लॉ में निरीक्षण के सिस्टम को ऑनलाइन कर रखा है, शिकायत आधारित जांच हम कर सकते है, मर्जी से कुछ नहीं कर सकते।