सिवाना व क्षेत्र के सैकड़ों गांवों के छात्रों की उच्च शिक्षा की मांग व जरूरत पर जुलाई 2015 में यहां राजकीय महाविद्यालय स्वीकृत किया था। कला संकाय स्वीकृत कर छात्रों को प्रवेश दिया। इस पर सिवाना व क्षेत्र के गांवों से बड़ी संख्या में छात्रों ने प्रवेश लिया, लेकिन महाविद्यालय संचालन के बाद से अब तक एक भी व्याख्याता की स्थायी नियुक्ति नहीं की गई। कुछ माह के लिए एक-दो व्याख्याताओं की प्रतिनियुक्ति कर महाविद्यालय का संचालन किया। कई बार तो बगैर किसी व्याख्याता के महाविद्यालय का संचालन हुआ। शिक्षण कार्य नहीं होने पर छात्रों ने स्वयं के स्तर पर पढ़ाई कर परीक्षा दी। इस पर लंबे समय से छात्र, अभिभावक महाविद्यालय में स्थायी व्याख्याता नियुक्ति की मांग कर रहे थे। इसके लिए कई बार छात्रों ने धरना, प्रदर्शन भी किया।
पहली बार स्थायी व्याख्याता नियुक्त- महाविद्यालय में समाजशास्त्र, भूगोल, राजनीति विज्ञान, इतिहास, संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी सात विषय स्वीकृत है। कला संकाय के तीनों ही वर्षों के पाठयक्रम में 476 छात्र प्रवेशित है। अब तक स्थायी व्याख्याताओं की नियुक्ति नहीं करने व इनके आयाराम- गयाराम की स्थिति होने पर सैकड़ों छात्रों की पढ़ाई चौपट हो रही थी। पहली बार भूगोल, संस्कृत, राजनीति विज्ञान के व्याख्याताओं की स्थार्यी नियुक्ति की है। इसमें संस्कृत विषय व्याख्याता ने सोमवार को पद भार ग्रहण किया।
शिक्षा, सहशैक्षणिक गतिविधियों को मिलेगा बढ़ावा- व्याख्याताओं की स्थायी नियुक्ति अभाव में वर्षभर में प्रवेश प्रक्रिया, छात्रसंघ चुनाव, परीक्षा आयोजन का जरूरी कार्य ही किया जाता था। पढ़ाई न के बराबर होती थी, लेकिन अब तीन व्याख्याताओं की स्थायी नियुक्ति पर महाविद्यालय में पढ़ाई होगी। एनएसएस, युवा विकास केन्द्र, एनएसएस जैसी कई सहशैक्षणिक गतिविधियां प्रारंभ होंगी।
पहली बार स्थायी नियुक्ति – महाविद्यालय स्वीकृत व संचालन के बाद से पहली बार तीन स्थायी व्याख्याताओं की नियुक्ति की गई है। एक ने पदभार ग्रहण किया, शेष दोनों शीघ्र कार्यभार संभालेंगे। इतिहास के व्याख्याता की नियुक्ति की पूरी उम्मीद है। इससे शिक्षा माहौल के साथ सहशैक्षणिक गतिविधियां प्रारंभ होगी। जो छात्रों के लिए बहुत अच्छा होगा। – प्रो. जे. आर. नागौरा, प्राचार्य राजकीय वीर नारायण महाविद्यालय सिवाना