स्टेशन व रेल को साफ रखने का संदेश देने वाले रेलवे खुद ही यात्रियों को गंदगी में सफर करने को मजबूर कर रहा है। साधारण व डेमू ट्रेन की नियमित सफाई नहीं होने से कोच में दुर्गंध फैली रहती है। बाड़मेर से जोधपुर के बीच साधनों की कमी के चलते यात्री मजबूरी में सड़ांध मार रही ट्रेनों में यात्रा करते हैं। जबकि गंदगी से भरी ट्रेन में कुछ किमी यात्रा भी मुश्किल है।
सोमवार को पत्रिका टीम ने सुबह 4.15 बजे बाड़मेर से जोधपुर जाने वाली डेमू की हालत देखी तो डिब्बों में सीटों के नीचे कचरा बिखरा था। सभी कोच की स्थिति एक जैसी ही थी।
ट्रेन के यहां आने के बाद उसकी सफाई हुई हो एेसा नजर नहीं आया। ऐसा लग रहा था कि जिस हालत में ट्रेन आई, उसी में फिर से यहां से रवाना कर दी गई। डेमू के अधिकांश शौचालयों में पानी नहीं आ रहा था, वहीं कुछ कोच में तो दरवाजों पर कुंडिया भी नहीं लगी थी।
ऐसे में महिला यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी। कुछ ऐसे ही हालत जोधपुर से सुबह बाड़मेर को चलने वाली साधारण गाड़ी में नजर आए। सुविधा के नाम पर टूटी सीटों पर यात्री बैठने को मजबूर थे। साधारण गाड़ी में मोबाइल चार्ज की सुविधा नजर जरूर आई, लेकिन काम नहीं कर रही थी।
बोले यात्री
डेमू के अधिकांश डिब्बों में गंदगी पसरी होने से यात्रा करना मुश्किल हो रहा है। स्टेशन को चमका रहे रेलवे को ट्रेनों में भी सफाई की सुध लेनी चाहिए।
भवानी शंकर
रेलवे स्वच्छता अभियान के झूठे ढोल पीट रहा है। साधारण ट्रेन और डेमू में ही सर्वाधिक लोग यात्रा करते हैं। फिर इन ट्रेनों में सफाई क्यों नहीं होती है?
गजेन्द्र कुमार