जसोल में 22.48 करोड़ की लागत से 2.5 एमएलडी क्षमता का आर.ओ. प्लांट नववर्ष तक बनकर तैयार होगा। इसके बाद प्रदूषण की समस्या से निजात मिलेगी, वहीं उपचारित पानी को पुन: उपयोग लेने से जल की बड़ी बचत होगी।
पोपलीन वस्त्र उद्योग (Poplin industry ) के नाम से प्रसिद्ध बालोतरा-जसोल उद्योग के साथ प्रदूषण की बड़ी समस्या जुड़ी हुई है। इसे लेकर न्यायालय ने सीईटीपी, ईटीपी प्लांट से उपचारित प्रदूषित पानी को नदी, नाला व खुले में बहाने पर रोक लगा रखी है।
कई वर्ष पूर्व लगी रोक के बाद उद्योग पर सीईटीपी प्लांट संचालक आंवटित एचआरटीएस की जमीन पर उपचारित पानी को छोड़ वाष्पीकरण के माध्यम से निस्तारण कर रहे हंै। इसके विधिवत संचालन को लेकर जसोल सीईटीपी ट्रस्ट के निर्देश पर उद्यमी स्वीकृत एनओसी से 30 फीसदी क्षमता जितना ही काम कर पा रहे हैं।
अब पूरी क्षमता से कर पाएंगे काम प्रदूषण को लेकर न्यायालय की सख्ती से प्रभावित उद्योग पर केन्द्र सरकार ने आईपीडीएस इंटीग्रेटेड प्रोसेस डवलपमेंट स्कीम में 2.5 एमएलडी आरओ प्लांट स्वीकृत किया था। केन्द्र, प्रदेश सरकार व सीईटीपी ट्रस्ट की संयुक्त योजना में 22.48 करोड़ लागत से प्लांट बनना प्रस्तावित है।
करीब चार माह पूर्व प्रारंभ हुए कार्यपर 80 फीसदी सिविल कार्य पूरा हो चुका है। शेष कार्यजारी है। मशीनों का आर्डर जारी कर दिया गया है। दिसम्बर माह के अंत तक प्लांट बनकर तैयार होगा। इससे प्रदूषित पानी प्लांट से उपचार के बाद 80 फीसदी फिर से उद्योग के काम में आ सकेगा। वर्तमान में 2.5 एमएलडी का आरओ प्लांट संचालित हो रहा है।
कर पाएंगे पूरा काम स्वीकृत आर.ओ. प्लांट निर्माण जोरों पर है। 80 फीसदी सिविल वर्क हो गया है। मशीनों का ऑर्डर दे दिया है। वर्ष समाप्ति तक यह बनकर तैयार होने की पूरी उम्मीद है। नववर्ष में इसका संचालन शुरू होने पर उद्यमी स्वीकृत पूरी एनओसी क्षमता जितना कार्यकर पाएंगें।
– भरत मेहता, अध्यक्ष सीईटीपी ट्रस्ट बालोतरा