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सुरक्षा के लिए सुराख न बन जाए बंद रेलवे स्टेशन

locationबाड़मेरPublished: Dec 02, 2020 10:45:56 am

Submitted by:

Ratan Singh Dave

भारत-पाकिस्तान रेल मार्ग पर बन्द रेलवे स्टेशन और आवासीय क्वार्टर सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।इस मार्ग पर भारत-पाकिस्तान के बीच थार एक्सप्रेस का साप्ताहिक संचालन और जोधपुर-बाड़मेर-मुनाबाव के बीच प्रतिदिन साधारण रेल सेवा का संचालन हो रहा था। इस वर्ष मार्च में कोरोना वायरस के बाद लगे लॉकडाउन के बाद बंद हुई रेल सेवाओ के बाद बाड़मेर मुनाबाव के बीच सभी रेलवे स्टेशनो से एक-एक करके स्टेशन मास्टर सहित स्टाफ हटा लिया गया।

सुरक्षा के लिए सुराख न बन जाए बंद रेलवे स्टेशन

सुरक्षा के लिए सुराख न बन जाए बंद रेलवे स्टेशन

सुरक्षा के लिए सुराख न बन जाए बंद रेलवे स्टेशन
बाड़मेर पत्रिका.
भारत-पाकिस्तान रेल मार्ग पर बन्द रेलवे स्टेशन और आवासीय क्वार्टर सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
इस मार्ग पर भारत-पाकिस्तान के बीच थार एक्सप्रेस का साप्ताहिक संचालन और जोधपुर-बाड़मेर-मुनाबाव के बीच प्रतिदिन साधारण रेल सेवा का संचालन हो रहा था। इस वर्ष मार्च में कोरोना वायरस के बाद लगे लॉकडाउन के बाद बंद हुई रेल सेवाओ के बाद बाड़मेर मुनाबाव के बीच सभी रेलवे स्टेशनो से एक-एक करके स्टेशन मास्टर सहित स्टाफ हटा लिया गया। पिछले आठ माह से बन्द रेलसेवा के कारण बाड़मेर मुनाबाव के बीच सभी स्टेशनों पर बने भवन बबूल की कटीली झाडिय़ों से घिर गए हैं। 120 वर्ष पूर्व अंग्रेजों के समय में बने रेल कर्मचारियों के आवासीय क्वार्टर की मरम्मत नहीं होने से दरवाजे खिड़कियां टूट चुकी है एवं रेत से भर रहे हैं।
दूर-दूर तक कोई नहीं
बाड़मेर मुनाबाव तक की दूरी में सुरक्षा के कोई बंदोबस्त नहीं है। वीराने में ऐसे स्टेशनो में राष्ट्र विरोधी तत्व छुप जाए तो किसी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता। वीरानगी, अंधेरा और दूर-दूर तक लोग नहीं होने से यहां कोई पूछने वाला भी कोई नहीं है।
ब्रॉडगेज बनने के बाद बंद हुए कई स्टेशन
इस रेलवे लाइन को मीटर गेट से ब्रॉडगेज में बदलने का काम 2003 में शुरू हुआ। वर्ष 2006 में भारत-पाक के बीच थार लिंक एक्सप्रेस शुरू हुई। इसी दौरान खड़ीन, तामलोर, लीलमा स्टेशनों को बंद कर दिया गया। बाद में रामसर, गागरिया,जैसिंधर स्टेशन से स्टेशन मास्टर हटाकर टिकट बुकिंग अनुबंध पर दे दी गई शेष बचे चार स्टेशनों में लोकडाउन के बाद जसाई,भाचभर, गडरारोड़, मुनाबाव से भी स्टेशन मास्टर हटा लिए गए।
120 साल पहले बिछी थी लाइन
बाड़मेर से गडरारोड़- मुनाबाव तक अंग्रेजों के समय रेलवे लाईन बिछी थी। मीटर गेज की यह लाइन 120 साल पहले सन 1902 में बिछी, जो पाकिस्तान के सिंध को भारत से जोड़ती थी। आजादी के बाद यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूणज़् हो गया। बॉडज़्र क्षेत्र होने से यहां बीएसएफ, सेना को तैनात किया गया।
इसलिए सैन्य कर्मियों के लिए साधारण रेल सेवा का नियमित संचालन होता रहा।
पिछले आठ महीनों से बंद रेल यातायात के बाद बंद रेलवे स्टेशनो की सुरक्षा एवं सैन्य कर्मियों की सुविधा के लिएउ साधारण रेल सेवा का संचालन प्रारंभ किया जाना अति आवश्यक हैं।
सर्वे करके रिपोटज़् भेजते हैं
बंद रेलवे स्टेशन की सुरक्षा के लिए पता करेंगे। जर्जर आवासीय क्वार्टर को नष्ट करने या अन्य कार्यवाही नियमों के मुताबिक होती हैं। संबंधित स्टेशन के स्थानीय पुलिस की सहायता भी लेंगे।
– गोपाल शर्मा
पीआरओ, मण्डल रेल प्रबंधक कार्यालय जोधपुर
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