नगर परिषद से वर्ष २०१५ में खसरा नंबर १४६८ के जारी फर्जी पट्टा प्रकरण में बड़ा विवाद खड़ा हो गया। इसके बाद हुए घटनाक्रम में एक दर्जन से ज्यादा कर्मचारी निलम्बित हो गए। ऐसे में यहां सभापति सहित जिम्मेदार अधिकारी पट्टा बनाने के लिए तैयार ही नहीं हैं। शहरवासी चक्करघिन्नी बन गए और नगर परिषद की भूमि शाखा में करीब ढाई हजार पत्रावलियां धूल फांक रही हैं। पट्टों के अभाव में आवेदकों को भूखण्ड पर ऋण व मकान निर्माण की स्वीकृति नहीं मिल रही है। इधर, सरकार ने मुख्यमंत्री शहरी जन कल्याण शिविरों की अवधि भी बढ़ा कर ३१ दिसंबर कर दी। इसके बावजूद यहां पट्टा जारी करने को लेकर कोई कार्य नहीं हो रहा है।
आश्वासन दिया और चलते बने
यहां चार साल में करीब एक दर्जन आयुक्त आए और गए। हर बार आयुक्त के कार्यभार ग्रहण करने के बाद आवेदक व पार्षद पट्टों की पत्रावलियां लेकर पहुंच जाते थे, फिर उन्हें आयुक्त भी रटारटाया जबाव देकर आश्वस्त करता था कि पट्टों का मामला क्यों अटका है, इसको लेकर कार्ययोजना तैयार करेंगे। लेकिन यह दावे महज दिखावा बनकर रह गए।
मेरे सामने फाइल आएगी तभी बता पाऊंगा
&पट्टा जारी करने के मामले में अभी मुझे कुछ पता भी नहीं है। मेरे सामने कोई फाइल आएगी तभी कुछ बता पाऊंगा। सरकार की गाइडलाइन अनुसार पट्टे जारी किए जाएंगे।
– अनिल झिंगोनिया, आयुक्त, नगर परिषद, बाड़मेर