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बाड़मेर जिले में सभी 2900 गांवों में अकाल की आहट, सरकार चुनाव की तैयारी में

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बाड़मेरSep 16, 2018 / 05:28 pm

भवानी सिंह

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बाड़मेर जिले में सभी 2900 गांवों में अकाल की आहट, सरकार चुनाव की तैयारी में

बाड़मेर.
थार के रेगिस्तान में अकाल दस्तक दे चुका है। लगभग 55 लाख पशुआें के लिए चारे-पानी के संकट की चिंता 10 लाख किसानों और पशुपालकों के चेहरे पर उतर आई है।

न चारा हुआ है और न तालाबों में पानी। पिछले साल 1717 राजस्व गांवों में अकाल था और इस बार पर्याप्त बारिश नहीं होने से सभी २९०० राजस्व गांव इसकी चपेट में हैं। सरकार चुनाव की और किसान-पशुपालक पशुओं की पालने की ङ्क्षचता में उलझे हैं।
जिले में इस साल १२७ मिमी औसत बारिश हुई है। पहली बारिश होते ही करीब १२ लाख हैक्टेयर में बुवाई हो गई लेकिन इसके बाद इन्द्र रूठे रहे और अकाल की छाया मंडरा रही है। बुवाई की फसलें भी सूखकर नष्ट होने लगी हैं। इसका चारा भी किसानों को नसीब नहीं होना है। एेसे में किसान के लिए खरीफ का अकाल तय है।
पशुओं के लिए संकट
जिले में लगभग ५५ लाख पशु हैं, इनके लिए अब चारे-पानी का संकट खड़ा हो गया है। सूखे चारे की कीमतें भी करीब तीस से चालीस प्रतिशत बढ़ गई हैं। बारिश का पानी तालाबों में नहीं आने से तीन सौ से पांच सौ रुपए प्रति टैंकर चुकाने होंगे।
आचार संहिता से पहले मिले राहत
&विशेष गिरदावरी करवाई जाए। चारे-पानी का प्रबंध तत्काल करवाया जाए। किसान और पशुपालकों के लिए चुनाव के दिनों में सुनवाई नहीं होना भारी पड़ जाएगा। आचार संहिता से पहले यह निर्णय होना चाहिए।
– मेवाराम जैन, विधायक बाड़मेर
सरकार की राहत, नियमों से बंधी
मुश्किल यह है कि सरकार १५ सितंबर से १५ अक्टूबर तक गिरदावरी करवाएगी। फिर प्रदेश में अकाल घोषित होगा। दिसंबर के बाद केन्द्रीय टीम आकलन करती है और अप्रेल माह के करीब चारा अनुदान, पशु शिविर और पेयजल प्रबंध शुरू किए जाते हैं। लगातार अकाल के मारे किसानों के लिए अप्रेल तक समय गुजारना मुश्किल हो रहा है।
१७१७ गांवों में राहत अभी क्यों नहीं?
जिले की १२ तहसीलों के १७१७ गांवों में अकाल और गुड़ामालानी के २०८ गांवों में बाढ़ से फसलें चौपट होने पर सरकार ने पिछले साल मई, जून और जुलाई तीन माह तक राहत दी थी। इस बार बारिश नहीं होने से अकाल की स्थिति बढ़ी है। फिर भी नियमों के चलते अभी तक कोई आवाज नहीं उठ रही है।

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