मानवेन्द्र ने बीते दिनों सोशल मीडिया पर लिखा है कि उनके पिता जसवंतसिंह और अटल बिहारी वाजपेयी दोनों में गहरे पारीवारिक रिश्ते थे लेकिन उनकी मजबूरी है कि वे अभी अपने पिता को यह नहीं कह सकते कि अटलजी, अब नहीं रहें…। जसवंङ्क्षसह खुद बीमार है। उनको जो थोड़ी-बहुत चेतना है शायद यह सुनकर वो भी नहीं रहे। मानवेन्द्र ने बताया कि सारी दुनियां जान गई है कि अटल बिहारी नहीं रहे लेकिन उनसे सबसे गहरे जुड़े रहे जसवंसिंह नहीं जानते कि अटलजी अब नहीं रहे।
इधर, काली पट्टी बांध जताया विरोध, सौंपा ज्ञापन
बाड़मेर पत्रिका. पत्रकार दुर्गसिंह की गिरफ्तारी के विरोध में विभिन्न संगठनों की ओर से विरोध करते हुए मामले की जंाच और झूठा मामला दर्ज कर कथित षडयंत्र करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। स्थानीय डाक बंगले में बुधवार को पत्रकारों की बैठक हुई। बैठक में मामले की निंदा करते की गई।उसके बाद पत्रकारों ने काली पट्टी बांधकर विरोध व्यक्त किया। पत्रकार शांति पूर्ण रैली के रूप में वरिष्ठ पत्रकार शंकरलाल गोली की अगुवाई में कलक्ट्रेट पहुंचे। अतिरिक्त जिला कलक्टर को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि पटना में दुर्गसिंह व उसके परिजनों की सुरक्षा दिलवाने, मामले की जांच सीबीआई से करवाने, षड्यंत्रपूर्वक बनाने वालों का पर्दाफाश व दुर्गसिंह को रिहा करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। पाली, जालौर, जोधपुर व अन्य स्थानों पर भी इस मामले को लेकर विभिन्न संगठनों ने ज्ञापन सौंपकर कार्यवाही की मांग की है।
बाड़मेर पत्रिका. पत्रकार दुर्गसिंह की गिरफ्तारी के विरोध में विभिन्न संगठनों की ओर से विरोध करते हुए मामले की जंाच और झूठा मामला दर्ज कर कथित षडयंत्र करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। स्थानीय डाक बंगले में बुधवार को पत्रकारों की बैठक हुई। बैठक में मामले की निंदा करते की गई।उसके बाद पत्रकारों ने काली पट्टी बांधकर विरोध व्यक्त किया। पत्रकार शांति पूर्ण रैली के रूप में वरिष्ठ पत्रकार शंकरलाल गोली की अगुवाई में कलक्ट्रेट पहुंचे। अतिरिक्त जिला कलक्टर को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि पटना में दुर्गसिंह व उसके परिजनों की सुरक्षा दिलवाने, मामले की जांच सीबीआई से करवाने, षड्यंत्रपूर्वक बनाने वालों का पर्दाफाश व दुर्गसिंह को रिहा करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। पाली, जालौर, जोधपुर व अन्य स्थानों पर भी इस मामले को लेकर विभिन्न संगठनों ने ज्ञापन सौंपकर कार्यवाही की मांग की है।
रैंजर यूनिट बदली,नफरी नहीं बढ़ी
बाड़मेर पत्रिका. पाकिस्तान में सरकार बदलने और प्रधानमंत्री इमरान खान बनने के बाद पाकिस्तान बॉर्डर पर हलचल और गतिविधियो में बाड़मेर बॉर्डर पर ज्यादा फर्क नहीं आया है। बाड़मेर के सामने पाकिस्तान की १४ पोस्ट पर पूर्व की तरह ही नफरी है।
बाड़मेर पत्रिका. पाकिस्तान में सरकार बदलने और प्रधानमंत्री इमरान खान बनने के बाद पाकिस्तान बॉर्डर पर हलचल और गतिविधियो में बाड़मेर बॉर्डर पर ज्यादा फर्क नहीं आया है। बाड़मेर के सामने पाकिस्तान की १४ पोस्ट पर पूर्व की तरह ही नफरी है।
सरकार बदलने के बाद बाड़मेर बॉर्डर की १६ बीओपी(बॉर्डर आपरेटिंग पोस्ट ) के सामने की पाकिस्तान की १४ पोस्ट पर हलचल बढऩे की स्थिति नहीं रही है। १४ अगस्त को पाकिस्तान के स्वाधीनता दिवस के दिन जरूर यहां पर रेंजर्स पहुंचे थे लेकिन इसके बाद सामान्य स्थिति रही। हाल ही में पाकिस्तान की ओर से बोर्डर पर रैंजर्स की यूनिट बदली गई है। सूत्रों अनुसार पहले रैंजर्स की यूनिट ८२ तैनात थी जिसकी जगह अब यूनिट ८४ को कमान दी गई है।
भारत का रहा ऑपरेशन अलर्ट- भारत की ओर से १५ अगस्त के मद्देनजर ऑपरेशन अलर्ट के तहत ७ से २२ अगस्त तक बाड़मेर की पांचों कमांडेंट बॉर्डर पर तैनात रही। सभी अधिकारियों ने यहां सभी बीओपी पर अलर्ट रहते हुए मुश्तैदी से चौकसी की।