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यहां तो शनि लगा हुआ है कलक्टर आवास के सामने ही एक सीसी रोड की स्थिति यह है कि यहां हर माह-दो माह बाद पेयजल पाइप लाइन टूट जाती है। इसके बाद जेसीबी चलती है और सड़क टूटने के साथ चारों ओर पीले बोर्ड लग जाते हैं। सप्ताह-दस दिन यह दौर चलता है। इसके बाद फिर अगले पखवाडे़ वहीं नजारा देखने को मिल रहा है। इसके चलते अब लोग कहने लगे हैं कि साहब के घर के सामने तो शनि लगा हुआ है। इस कारण ना यह पाइप सुधरेगा ना सड़क का टूटना कम होगा।
यहां तो शनि लगा हुआ है कलक्टर आवास के सामने ही एक सीसी रोड की स्थिति यह है कि यहां हर माह-दो माह बाद पेयजल पाइप लाइन टूट जाती है। इसके बाद जेसीबी चलती है और सड़क टूटने के साथ चारों ओर पीले बोर्ड लग जाते हैं। सप्ताह-दस दिन यह दौर चलता है। इसके बाद फिर अगले पखवाडे़ वहीं नजारा देखने को मिल रहा है। इसके चलते अब लोग कहने लगे हैं कि साहब के घर के सामने तो शनि लगा हुआ है। इस कारण ना यह पाइप सुधरेगा ना सड़क का टूटना कम होगा।
— आइए एमएलए साहब विधानसभा चुनाव भले ही दूर हैं, लेकिन हर नेता अब अपने आप को एमएलए समझने लगा है। सोशल मीडिया पर तो बकायदा नेताओं के नाम आने लगे हैं। लोग रायशुमारी भी ले रहे हैं। एेसे में हर नेता अपने आप को एमएलए मान रहा है। स्थिति यह है कि लोग एेसे नेताओं को दूर से ही एमएलए साहब कह कर पुकारते हैं, उनके कान भी यह सुनने को तरसते हैं। एेसे में कोई उन्हें एेसे संबोधित करता है तो उनके चेहरे पर एेसी मुस्कान बिखरती है कि देखते ही बनती है।
महिलाओं-पुरुषों को एक वार्ड मे कर दिया भर्ती
चिकित्सा कार्मिकों की कारगुजारी के चलते कुछ दिन पहले जिला अस्पताल के मेल वार्ड में महिलाओं को भर्ती कर दिया। इसका तर्क यह दिया कि कहीं जगह नहीं थी। इस बीच दो दिन तक कई महिलाएं पुरुषों के वार्ड में भर्ती रहीं। मेल वार्ड होने से महिलाएं काफी असहज रहीं। लेकिन चिकित्साकर्मियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। जब बात ऊपर तक पहुंची तो आनन-फानन में वार्ड में भर्ती महिलाओं को अन्यत्र शिफ्ट कर दिया। अब जब पहले जगह नहीं थी तो बाद में कहां से आ गई। अब ये तो चिकित्साकर्मी ही बेहतर बता सकते हैं, जिन्होंने इस काम को अंजाम दिया।
चिकित्सा कार्मिकों की कारगुजारी के चलते कुछ दिन पहले जिला अस्पताल के मेल वार्ड में महिलाओं को भर्ती कर दिया। इसका तर्क यह दिया कि कहीं जगह नहीं थी। इस बीच दो दिन तक कई महिलाएं पुरुषों के वार्ड में भर्ती रहीं। मेल वार्ड होने से महिलाएं काफी असहज रहीं। लेकिन चिकित्साकर्मियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। जब बात ऊपर तक पहुंची तो आनन-फानन में वार्ड में भर्ती महिलाओं को अन्यत्र शिफ्ट कर दिया। अब जब पहले जगह नहीं थी तो बाद में कहां से आ गई। अब ये तो चिकित्साकर्मी ही बेहतर बता सकते हैं, जिन्होंने इस काम को अंजाम दिया।