scriptदृष्टिबाधित बीएड छात्रा का पढऩे और पढ़ाने का जज्बा | Reading visually impaired BEd student and passion to teach | Patrika News

दृष्टिबाधित बीएड छात्रा का पढऩे और पढ़ाने का जज्बा

locationबाड़मेरPublished: Oct 24, 2018 12:27:54 am

प्रशिक्षण के लिए रोज 50 किमी से अधिक का सफर

दृष्टिबाधित बीएड छात्रा का पढऩे और पढ़ाने का जज्बा

दृष्टिबाधित बीएड छात्रा का पढऩे और पढ़ाने का जज्बा

बाड़मेर . शहर के गांधीनगर स्कूल के विद्यार्थियों को बीएड की एक प्रशिक्षु छात्रा इतना बड़ा सबक दे रही है कि इन पढऩे वाले बच्चों की आंखों में जीवनभर रोशनी रहेगी। छात्राध्यापिका है मनीषा, जो जन्म से दृष्टिबाधित है। उसको पढ़ाते देख ये बालक-बालिकाएं जीवन का एक पाठ सीख गए हैं कि विपरीत परिस्थितियां हारती हैं, हराने वाला चाहिए और जीवन की कोई एक कमी किसी को आगे बढऩे से नहीं रोक सकती।बीएड प्रशिक्षणार्थी इन दिनों विभिन्न सरकारी स्कूलांे में पाठ पढ़ाने पहुंच रहे है। गांधीचौक स्कूल में एक छात्राध्यापिका पहुंची तो सभी हतप्रभ रह गए। इस छात्राध्यापिका को तो कुछ दिखाई नहीं देता। शिक्षकों और विद्यार्थियों में कौतूहल था कि अब यह कैसे पढ़ाएंगी और वे किस तरह पढ़ेंगे। देखते ही देखते दांतों तले अंगुलियां दब गई। बेबाकी, बेहिचक और बिना किसी रुकावट के उसने पढ़ाना शुरू किया। कंठस्थ पाठ, प्रश्न और फिर सवाल-जवाब। एक-एक विद्यार्थी एेसे जुड़ गया जैसे वो आज बड़ा सबक ले रहा हो।
दृष्टिबाधित मनीषा ने हर बच्चे की आंखों में आत्मविश्वास की एेसी रोशनी भर दी कि वे इसके चर्चे स्कूल ही नहीं घर तक करने लगे। अभिभावकों ने भी बच्चों के मुंह से मनीषा की बातें सुनी तो यही कहा-देखो बेटा, यही सबक है। सीखो, वह तुम्हें पढ़ाने नहीं जीवन की नाउम्मीदियों के तमाम अंधेरे मिटाने आई है। दीपावली से पहले मनीषा मानो यहां बच्चों के मन में शिक्षा के दीपक रोशन करने पहुंची है।

रोजाना 50 किमी से अधिक का सफर
मनीषा अपने गांव से रोजाना बाड़मेर तक करीब 50 किमी से अधिक का सफर तय करती है। वह बताती है कि पहले कुछ परेशानी होती थी, अब साथी छात्राओं के कारण कोई दिक्कत नहीं है। उनके साथ बीएड करने वाली छात्राएं जरूरत पर उनकी मदद करती हैं।
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