गौरतलब है कि रेशमा बाड़मेर के अगासडी गांव की है। 65 वर्षीय रेशमा की उम्र के इस पड़ाव में पाकिस्तान में रह रही दो बहिनो से मिलने की इच्छा थी। बहनों से मिलकर लौटने से तीन दिन पहले 25 जुलाई कोपकिस्तान में ही इंटकाल हो गया। रेशमा के इंतकाल बाद परिजनों को शव भारत लाने की फिक्र हुई। पत्रिका ने संवेदना से जुड़े मामले को प्रकाशित किया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसे ट्वीट कर मदद के निर्देश दिए। पाकिस्तान एम्बेसी ने 12 घंटे में समस्त प्रक्रिया पूर्ण कर शव भारत ले जाने की 27 जुलाई को इजाजत दे दी थी।
तय था कि शव शनिवार को थार एक्सप्रेस से आ जाएगा लेकिन रेशमा के आकस्मिक निधन पर परिजनों को लगा कि वीजा अवधि बढ़ानी होगी इसलिए कागजात पाकिस्तान एम्बेसी में जमा कर दिए। ये शनिवार दोपहर तक नही मिले। दोपहर बाद परिजन रवाना हुए। थार एक्सप्रेस को भी रोका लेकिन रेशमा की मिट्टी लेकर परिजन पहुंच न पाए। अब परिजन शव के साथ मीरपुर खास में है। इंतजार है कि इजाजत मिले तो रेशमा की मिट्टी अहले वतन की माटी में मिले।