क्षेत्र के लापला तला कोसरिया की चतरू सारण ने 52वी ऑल इण्डिया क्रॉस कंट्री चैम्पियनशिप में दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त किया। चतरू सारण इन दिनों क्रीड़ा परिषद जयपुर में 12वीं कक्षा में अध्ययनरत हैं। 9वीं तक राउमावि लापता तला में पढ़ाई करने के बाद खेल के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करने पर चतरू ने राजस्थान क्रीड़ा परिषद जयपुर में तीन साल पूर्व प्रवेश ले लिया था। इस प्रतियोगिता में भी उन्होंने क्रीड़ा परिषद जयपुर से ही राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया।
अंडर-18 ग्रुप में लिया भाग
अंडर-18 ग्रुप में लिया भाग
इस प्रतियोगिता में चतरू ने अण्डर 18 ग्रुप में भाग लिया। पुरुष वर्ग के लिए यह दौड़ 10 किलोमीटर की थी, लेकिन बालिका वर्ग के लिए 4 किलोमीटर की दूरी तय करनी थी। चतरू ने यह दूरी 14 मिनट और 19 सैकड़ में पूरी की।
फ्रेम में ही नहीं थे प्रतिभागी
जब चतरू ने फिनिश लाइन को पार किया तो दूर-दूर तक प्रतिद्वंद्वी नजर नहीं आ रहा था। चतरू ने 14 मिनट 19 सैकंड में ही दौड़ पूरी कर ली थी, जबकि दूसरे स्थान पर रही तेलंगाना की जी माहेश्वरी ने 18 सैकंड बाद 14 मिनट और 37 सैकंड में दौड़ पूरी की। महाराष्ट्र की आकांक्षा प्रकाश सेलर ने 14 मिनट 47 सैकेण्ड में दौड़ पूरी कर तीसरा स्थान पर रही।
जब चतरू ने फिनिश लाइन को पार किया तो दूर-दूर तक प्रतिद्वंद्वी नजर नहीं आ रहा था। चतरू ने 14 मिनट 19 सैकंड में ही दौड़ पूरी कर ली थी, जबकि दूसरे स्थान पर रही तेलंगाना की जी माहेश्वरी ने 18 सैकंड बाद 14 मिनट और 37 सैकंड में दौड़ पूरी की। महाराष्ट्र की आकांक्षा प्रकाश सेलर ने 14 मिनट 47 सैकेण्ड में दौड़ पूरी कर तीसरा स्थान पर रही।
दिहाड़ी मजदूरी करते हैं पिता
चतरू के पिता गुमनाराम सारण पेशे से किसान हैं, लेकिन खेती-किसानी से वर्षभर का खर्चा पूरा नहीं हो पाता। इस कारण वे दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं।
चतरू के पिता गुमनाराम सारण पेशे से किसान हैं, लेकिन खेती-किसानी से वर्षभर का खर्चा पूरा नहीं हो पाता। इस कारण वे दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं।
शुरू से ही था खेलों से लगाव
शुरू से ही चतरू में खेल के प्रति बहुत लगाव था। कोचिंग के दौरान भी वह दौड़ की बारीकियों पर संजीदगी से काम करती थी। उसकी खेल प्रतिभा को देखते हुए ही अध्ययन के लिए जयपुर भेजा था। अब उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त कर घर-परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया है।
शुरू से ही चतरू में खेल के प्रति बहुत लगाव था। कोचिंग के दौरान भी वह दौड़ की बारीकियों पर संजीदगी से काम करती थी। उसकी खेल प्रतिभा को देखते हुए ही अध्ययन के लिए जयपुर भेजा था। अब उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त कर घर-परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया है।
केशराराम घाट, चतरू के पूर्व कोच