कस्बे में इन दिनों आसपास केद गावो से लोग सांगरी बेचने आ रहे हैं। कस्बा इन गांवों का प्रमुख व्यापारिक केन्द्र होने के कारण यहां प्रतिदिन पच्चीस-तीस क्विंटल सूखी सांगरी बिकने आ रही है। व्यापारी लोगों से प्रतिकिलो 450 से 500 में ले रहे हैं। व्यापारियों के अनुसार सांगरी की मांग विदेश तक है। एेसे में वे खरीद रहे हैं। व्यापारियों के अनुसार प्रतिदिन पन्द्रह लाख रुपए तक की सांगरी खरीदी जा रही है।
हरी सांगरी की बहार- बारिश से पहले क्षेत्र में खेजडि़यां इन दिनों हरी सांगरी से लटालूम है। एेसे में घरों में इन दिनों सांगरी की सब्जी ही लोगों का प्रिय भोजन है। वहीं, इसे सूखा कर भा ग्रामीण रखते हैं। सर्दियों में इसकी सब्जी बनाते हैं, जो जायकेदार होती है। सांगरी के साथ कैर, कुमट और पंचमेवा की सब्जी शाही शादियों में भी देखने को मिलती है। यह सब्जी इतनी महंगी होती है कि हर शादी में इसे बनाना भी संभव नहीं होता। धनाढ्य लोग ही कैर-सांगरी की सब्जी बनाते हैं।
पच्चीस-तीस क्ंिवटल की आवक – कस्बे में प्रतिदिन 25 से 30 क्ंिवटल सांगरी बिकने के लिए आ रही है। प्रति किलो 400 से500 रुपए दाम दे रहे हैं। – राजेन्द्रकुमार कांकरिया, दुकानदार मांग के चलते खरीदारी- अभी गांवों में सांगरी की बहार है और इसकी मांग भी ज्यादा है। इसके चलते बाजार में सांगरी की खरीदारी हो रही है। – ललित जैन, व्यापारी