बाड़मेर

लिग्नाइट प्रभावित गांवों की स्कूलें बेहाल? जानिए पूरी खबर

– गिरल लिग्नाइट क्षेत्र की छह स्कूलों की स्थिति दयनीय, भवन हो गए जर्जर, विद्यार्थियों के बैठने के लिए नहीं है पुख्ता इंतजाम

बाड़मेरApr 09, 2021 / 07:56 pm

भवानी सिंह

Barmer school news

बाड़मेर.
शिव गिरल लिग्नाइट क्षेत्र में संचालित हो रही सरकारी स्कूलों की स्थिति दयनीय है। यहां जर्जर भवनों में कई सालों से विद्यार्थी अध्ययन कर रहे है, जबकि गांव से कोयले से सरकार करोड़ो रुपए कमा कर खजाना भर रही है। इतना ही नहीं गांव की खेजड़ली स्कूल आरएसएमएमल के दायरे में आ गई, उस दौरान जिम्मेदार अधिकारियों ने किसी अन्य स्थान पर स्कूल निर्माण करवाने का वादा किया, लेकिन दस साल बीतने के बावजूद स्कूल का निर्माण नहीं हो पाया है।
शिव क्षेत्र के गिरल में राजस्थान स्टेट माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड (आरएसएमएमएल) माइंस का संचालन हो रहा है। यहां हर साल करीब 50 करोड़ का राजस्व सरकार के खजाने में जमा हो रहा है, इसके बावजूद गांव की स्कूलों की दशा सुधारने के लिए विभाग ने एक रुपया भी खर्च नहीं किया है। ग्रामीणों ने स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था को सुधारने के लिए कई बार आरएसएमएमएल विभाग के अधिकारियों को अवगत करवाया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
सीनियर स्कूल के प्राथमिक जैसे हालात
राउमावि आकली स्कूल में 315 विद्यार्थी अध्यनरत है। इस स्कूल की स्थिति प्राथमिक स्कूल जैसी है। यहां 12 कक्षाएं बिठाने के लिए कक्ष भी नहीं है। ऐसी स्थिति में शिक्षक पेड़ो की छाया में कक्षाएं लेते है। इसके अलावा भवन जर्जर हो गए है।
नहीं मिल रहा बजट
आकली ग्राम पंचायत में छह स्कूलों का संचालन हो रहा है। सभी स्कूल गिरल लिग्नाइट प्रभावित क्षेत्र में है। यहां नियमानुसार कोयला क्षेत्र में कार्य कर रही सरकारी विभाग की एजेंसी को शिक्षा के सुधार को लेकर विशेष पैकेज जारी करना चाहिए, लेकिन यहां कुछ भी नहीं हो रहा है।

स्कूल – पंजीकृत विद्यार्थी
राप्रावि गिरल – 55
राप्रावि कुम्हारो की ढाणी – 63
राप्रावि खेजड़ली – 40
राप्रावि भीलों की ढाणी – 28
राउमावि आकली – 315
रामावि थुम्बली – 376

– स्थिति खराब है
हमारा गांव लिग्नाइट प्रभावित है। यहां से हर साल करोड़ो का राजस्व सरकार के खजानें में जमा हो रहा है, लेकिन गांव में शिक्षा के सुधार को लेकर कोई प्रयास नहीं हो रहे है। कई बार आरएसएमएमएल के अधिकारियों को अवगत करवाया। लेकिन वादे खुब किए, कार्य नहीं कर रहे है। जर्जर भवनों में बच्चें पढ़ रहे है। – भूरसिंह सरपंच, ग्राम पंचायत आकली
– भवन जर्जर हो गए है
आकली गांव सीनियर सैकंडरी स्कूल के हाल प्राथमिक स्कूल जैसे हो गए है। यहां बच्चों के बैठने के लिए प्रर्याप्त भवन नहीं है। कई तो जर्जर हो गए है। इसके अलावा प्राथमिक स्कूलों के भवनों की स्थिति खराब है। यहां कोयले का उत्पादन हो रहा है, सरकार कुछ हिस्सा स्कूलों पर खर्च करें। पेड़ पौधे भी नहीं लगवाए जा रहे है। पांच साल से आरएसएमएमएल ने स्कूलों पर एक रुपया भी खर्च नहीं किया। – भगवतसिंह, पीओ, शिक्षा विभाग

Hindi News / Barmer / लिग्नाइट प्रभावित गांवों की स्कूलें बेहाल? जानिए पूरी खबर

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.