आबकारी विभाग की ओर से शराब की दुकानों का लॉटरी प्रक्रिया से आवंटन किया गया है। नियमानुसार जिस व्यक्ति के नाम लॉटरी खूली है, उसे ही दुकान का संचालन करना है, लेकिन कई दुकानों पर एेसा नहीं होगा। शराब के धंधे में पहले से ही पांव जमाए बैठे ठेकेदार इन दुकानों की सौदेबाजी कर रहे हैं। हालांकि दुकानों की खरीद-फरोख्त विधि सम्मत तो नहीं है, लेकिन कई लोगों ने दुकान का बेचान कर मोटा मुनाफा कमाने की खातिर ही आवेदन जमा कराए थे। आबकारी विभाग खरीद-फरोख्त से जुड़े दस्तावेज के अभाव में कार्रवाई नहीं कर सकता है। आबकारी विभाग में हर कार्रवाई के लिए आवंटी ही जिम्मेदार होता है। ऐसे में दुकानों की सौदेबाजी भी आपसी रजामंदी से ही होती है।
लाखों की उम्मीद आबकारी विभाग की दुकान आवंटन की शर्तों के अनुसार शराब की दुकान को आगे किसी दूसरे व्यक्ति को बेचना (सबलेट) नियमों के विरुद्ध है। आवेदन जमा कराते समय आवेदक नियम-कायदों का पूरी तरह अध्ययन करते है, फिर भी दुकानों की सौदेबाजी जारी है। जानकारों के अनुसार कई लोगों ने कमाई के लिए ही आवेदन जमा कराए थे। उम्मीद थी कि महज एक-दो आवेदन का खर्चा करने पर ही दुकान मिल जाएगी और आगे किसी पुराने शराब ठेकेदार को देने (सबलेट) पर एक मुश्त लाखों रुपए मिल जाएंगे। जिले की शराब दुकानें 70 से 80 लाख रुपए में आगे शराब के पुराने ठेकेदारों को सबलेट होने की उम्मीद है। कई बड़ी दुकानों के आवंटी ठेकेदारों से बोली लगाने को कहते हैं, जिनमें से अधिक राशि बोलने वाले को दुकान दे देते हैं।
इसलिए टूटते हैं नियम शराब की दुकानों के संचालन में वैसे भी नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। ऐसे में आवंटियों से दुकानों की खरीद करने वाले ठेकेदार नियमों का कितना ध्यान रखेंगे यह सोचा जा सकता है। शराब की दुकानों में ज्यादा दर वसूलने, समय के बाद भी बिक्री करने तथा दुकान में ही बैठाकर शराब पिलाने के मामले आम हैं। कार्रवाई नहीं होने से ठेकेदार अक्सर नियमों को ताक पर रख देते हैं। ऐसे में दुकान की खरीद के साथ ही नियमों के उल्लंघन का सिलसिला फिर से शुरू होगा।
हस्तांतरित करना नियम विरुद्ध शराब दुकान आवंटित होने के बाद हस्तांतरित नहीं होती है। हस्तांतरित करना भी नियम विरुद्ध है। ऐसा मामला सामने आने पर नियमानुसार कार्रवाईकी जाएगी। – देवेन्द्र दसौरा, जिला आबकारी अधिकारी बालोतरा