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बालोतरा. एक दशक से अधिक पुरानी क्षतिग्रस्त सड़कों के निर्माण को लेकर प्रदेश सरकार के बरती जा रही कंजूसी ग्रामीणों के लिए बड़ी परेशानी बनी हुई है। खंड बालोतरा, सिवाना, समदड़ी, कल्याणपुर, पाटोदी में 73 सड़कें ऐसी क्षतिग्रस्त है कि इनका पेचवर्क कार्य संभव नहीं है। इस पर खस्ताहाल इन सड़कों से आवागमन को लेकर हर दिन हजारों जनों को परेशानी उठानी पड़ती वहीं हादसों में चालक, सवार चोटिल होते हैं। इससे आमजन में रोष है।
वर्ष 2006-07 व 2007-08 में खंड बालोतरा, सिवाना, समदड़ी, कल्याणपुर, पाटोदी क्षेत्र की सड़कें अपनी बदहाली पर आठ आठ आंसू बहा रही है। एक दशक से अधिक समय पुरानी सड़कें भारी वाहनों की अधिक आवाजाही से जगह जगह से धंस गई तो बीते कई वर्षों से क्षेत्र में हो रही अतिवृष्टि की भेंट चढ़ गई। सड़कों में हर आठ दस फीट दूरी में हुए बड़े बड़े खड्डे, निकली-बिखरी कंकरीट व टूटी पटरियों पर आवागमन में हर दिन हजारों जनों को परेशानी उठानी पड़ती है। रात्रि में इनसे आवागमन हादसों को निमंत्रण देता है। इन सिंगल क्षतिग्रस्त सड़कों पर होते हादसों में चालक व सवार चोटिल, तो गंभीर घायल होते हंै। बीते वर्षा में हुई सड़क घटनाओं में कई जने दम तोड़ चुके हंै। कई वर्षों से मार्गों की इस स्थिति के बावजूद प्रदेश सरकार इनका पुन: निर्माण नहीं करवा रही है। इससे हर दिन होती परेशानियों पर आमजन में रोष है।
बालोतरा. एक दशक से अधिक पुरानी क्षतिग्रस्त सड़कों के निर्माण को लेकर प्रदेश सरकार के बरती जा रही कंजूसी ग्रामीणों के लिए बड़ी परेशानी बनी हुई है। खंड बालोतरा, सिवाना, समदड़ी, कल्याणपुर, पाटोदी में 73 सड़कें ऐसी क्षतिग्रस्त है कि इनका पेचवर्क कार्य संभव नहीं है। इस पर खस्ताहाल इन सड़कों से आवागमन को लेकर हर दिन हजारों जनों को परेशानी उठानी पड़ती वहीं हादसों में चालक, सवार चोटिल होते हैं। इससे आमजन में रोष है।
वर्ष 2006-07 व 2007-08 में खंड बालोतरा, सिवाना, समदड़ी, कल्याणपुर, पाटोदी क्षेत्र की सड़कें अपनी बदहाली पर आठ आठ आंसू बहा रही है। एक दशक से अधिक समय पुरानी सड़कें भारी वाहनों की अधिक आवाजाही से जगह जगह से धंस गई तो बीते कई वर्षों से क्षेत्र में हो रही अतिवृष्टि की भेंट चढ़ गई। सड़कों में हर आठ दस फीट दूरी में हुए बड़े बड़े खड्डे, निकली-बिखरी कंकरीट व टूटी पटरियों पर आवागमन में हर दिन हजारों जनों को परेशानी उठानी पड़ती है। रात्रि में इनसे आवागमन हादसों को निमंत्रण देता है। इन सिंगल क्षतिग्रस्त सड़कों पर होते हादसों में चालक व सवार चोटिल, तो गंभीर घायल होते हंै। बीते वर्षा में हुई सड़क घटनाओं में कई जने दम तोड़ चुके हंै। कई वर्षों से मार्गों की इस स्थिति के बावजूद प्रदेश सरकार इनका पुन: निर्माण नहीं करवा रही है। इससे हर दिन होती परेशानियों पर आमजन में रोष है।
भारी पड़ रही कंजूसी, 55 करोड़ की जरूरत- जानकारी अनुसार खंड बालोतरा, सिवाना, समदड़ी, कल्याणपुर, पाटोदी क्षेत्र में एक दशक से अधिक पुराने 73 ग्रामीण मार्ग खस्ताहाल है। सिवाना- समदड़ी-कल्याणपुर 32 किमी, धुंधाड़ा- अजीत-समदड़ी 17.50 किमी, पाटोदी- थोब 13 किमी, जसोल-तिलवाड़ा 12 किमी, पचपदरा-खेड़ 10 किमी, काठाड़ी -भागवा 11 किमी, पंऊ-कांखी 8 किमी, गोल भिमरलाई-चौकडिय़ों की ढाणी 8.15 किमी,परेरू-पाटोदी- सूरजबेरा 7 किमी, रिछोली-क्यार चारणान 7 किमी, सिणली जागीर-रिखरलाई 6 किमी, मोकलसर-मोतीसरा- डाबली 6 किमी सहित कुल 73 मार्ग खस्ताहाल है। ये मार्ग मरम्मत लायक नहीं है। इस पर आवागमन में हर दिन हजारों जने परेशानी उठाते हैं। जानकारी अनुसार 73 खस्ताहाल मार्गों के 298 किमी दूरी के पुन: निर्माण के लिए 55 करोड़ रुपए चाहिए। इतने बड़े बजट की स्वीकृति की कम उम्मीद पर अगले कुछ समय तक आमजन को राहत मिलने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है।
व्यू.
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ग्रामीण मार्गों की हालत बहुत ही खस्ताहाल है। इन पर से वाहन लेकर गुजरना तो दूर अब यह पैदल चलने लायक तक नहीं है। आमजन की सुविधा व हादसों को रोकने के लिए सरकार इनका पुन: निर्माण करवाएं। – पेंपसिंह भाटी
ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश मार्ग क्षतिग्रस्त है। सरकार हर मानसून बाद मरम्मत को लेकर पैसा खर्चती है। लेकिन दो माह में ही पेच टूटने पर फिर खड्डे होते हैं। सरकार नवनिर्माण की स्वीकृति जारी करें। – जगमोहनसिंह राठौड़
ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश मार्ग क्षतिग्रस्त है। सरकार हर मानसून बाद मरम्मत को लेकर पैसा खर्चती है। लेकिन दो माह में ही पेच टूटने पर फिर खड्डे होते हैं। सरकार नवनिर्माण की स्वीकृति जारी करें। – जगमोहनसिंह राठौड़
क्षतिग्रस्त ग्रामीण मार्गों पर अधिकांश जने कम से कम वाहन का उपयोग करते हैं। क्योंकि इनसे गुजरने पर वाहन के कलपुर्जे टूटते हैं। मरम्मत पर हजारों रुपए खर्च होते हैं। इस पर सरकार तुरंत स्वीकृति जारी करें। – गोबरराम घांची