अस्पताल के पुराने परिसर की छत पर 220 केडब्ल्यू के सोलर प्लांट का कार्य चल रहा है। इस कार्य के लिए आरसीसी की छत के साथ ही जहां पर पत्थर की पट्टियां लगी हैं उस पुराने भवन का उपयोग भी लेने की इजाजत प्रमुख चिकित्सा अधिकारी ने दे दी। इसकी जानकारी एनआरएचएम को नहीं दी गई। निर्माण के दौरान जब पत्थर की पट्टियां क्रेक हुईं तो अस्पताल प्रबंधन की आंखें खुली। गनीमत रही कि बड़ा हादसा नहीं हुआ। अस्पताल प्रबंधन ने अपनी लापरवाही छुपाने के लिए तत्काल यहां मरम्मत करवा दी है।
पीएमओ जिम्मेदार सोलर प्लांट लगने की जानकारी हमारे पास नहीं थी। बिल्डिंग की छत का हिस्सा गिरने के बाद मामला हमारे ध्यान में आया। हमने उन्हें पांबद किया है। इसके लिए जिम्मेदार पीएमओ हैं। हमसे कोई एनओसी नहीं ली गई है।- चैतन्य पंवार, अधिशासी अभियंता, एनआरएचएम, जालोर
पीएमओ बोले-राय ले ली एनओसी का कोई मामला नहीं है। पट्टियों में क्रेक आ गया था, इसके बाद राय ली है। अब पट्टियों पर प्लांट नहीं लगेगा, इसके लिए आरसीसी की छत का उपयोग किया जाएगा। किसी तरह का खतरा नहीं है। सब ठीक है।- डा. संदीप मित्तल, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी
पत्रिका व्यू विभिन्न सरकारी भवनों में सोलर प्लांट छतों पर लगाए जा रहे हैं। छत खाली है लेकिन प्लांट लगाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर ली जाए। अस्पताल, शिक्षण संस्थाओं और एेसे भवन जहां ज्यादा संख्या में लोग हैं वहां जब तक भवन निर्माण के विशेषज्ञ का प्रमाण पत्र न हो तब प्लांट स्वीकृत नहीं किए जाएं।