बाड़मेर

कभी उनके आते ही होती थी हथाई, अब मिलने से भी मनाही

कोरोना के चलते बन गई दूरियां, परदेस से आए कमाऊ पूतों का घर से निकलना बंद- पहला सवाल स्क्रीनिंग हुई या नहीं, फिर सलाह- अभी घर में ही रहना

बाड़मेरMar 31, 2020 / 09:06 pm

Dilip dave

कभी उनके आते ही होती थी हथाई, अब मिलने से भी मनाही



बाड़मेर. कोरोना के चलते सीमावर्ती गांवों में हर गली-मोहल्ले में चिंता नजर आ रही है। यह चिंता अपनों के घर लौटने की है। परिवार वाले खुश है कि उनके अपने घर लौट गए हैं, लेकिन चिंता इस बात कि कहीं कोरोना का असर तो उन पर नहीं है। ऐसे में वे अपनों को घर से बाहर निकलने नहीं दे रहे। घरों में ही उनको होम आइसोलेशन किया गया है। यह कहानी एक-दो गांव की नहीं हर गांव की है। तारातरा गांव में कई जने दो दिन पहले ही महाराष्ट्र से लौटे। थाने, रत्नागिरी में मजदूरी करने वाले ये युवा गांव में घुसे तो पहला सवाल यहीं था कि क्या कहीं बीच रास्ते में उनकी स्क्रीनिंग की गई। स्क्रीनिंग में क्या आया और चिकित्सकों ने अब क्या करने को कहा। गांव वालों के सवाल के साथ परिवारवालों की चिंता के चलते युवा खुद चल कर सांवलोर आए तो पूछा कि क्या उनकी स्क्रीनिंग यहां होगी या बाड़मेर जाए। रत्नागिरी से आए तेजाराम, पूराराम के साथ मुम्बई से गोमाराम, थाने से पहुंचे मदनलाल के अनुसार गांव में लोग उनको घरों से बाहर निकलने ही नहीं दे रहे। सांवलोर में चार-पांच दिन पहले आया जोगाराम भी अपने घर में कैद होकर रह गया है। परिवारवाले भी उसको गांव में घूमने की मनाई कर रहे हैं। यहां करीब चालीस-पचास जने दूसरे राज्यों से आए हैं, जिसके बाद गांव की चिंता बढ़ी हुई है। आलमसर में भी कुछ ऐसा ही आलम है। यहां करीब पचास जने दूसरे राज्यों से आए हैं। इनमें से अधिकांश घरों में कैद हो चुके हैं। इक्का-दुक्का कोई बाहर निकलता है तो अड़ोसी-पड़ोसी ही मना कर देते हैं। ऐसे में इनको होम आइसोलेशन में रहना पड़ रहा है। कमोबेश यही स्थिति कोनरा, धनाऊ, सोमराड़, कृष्णा का तला, बुरान का तला, गौहड़ का तला सहित सीमावर्ती गांवों में हर जगह है।
पहले आने पर होती हथाई, अब मनाही- ग्रामीणों के अनुसार पहले परदेस से जब भी कोई आता तो बस स्टेशन पर उतरते ही गांव वाले दौड़ कर सामने आते और घर पहुंचने से पहले घरवालों तक बधाई पहुंच जाती थी। अब स्थिति उलट है, बाहर से आने वाले अपनों को देखकर ही लोग दूरी बना रहे हैं। जहां पहले हथाई का दौर खत्म नहीं होता था, वहां अब मिलने की मनाही हो रही है।
अटके लोगों से नहीं आने की गुहार- अभी भी बॉर्डर के कई गांवों के सैकड़ों लोग महाराष्ट्र, गुजरात व कर्नाटक में फंसे हुए हैं। उनसे मोबाइल पर बात हो रही है, जो घर आना चाह रहे हैं, लेकिन गांव वाले कह रहे हैं कि कोरोना पॉजीटिव होने पर गांव में महामारी फैल सकती है, इसलिए परदेस में भी घर से बाहर नहीं निकलें और यहां हाल-फिलहाल नहीं आएं।

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