scriptचूल्हे नहीं जल रहे, पेट की आग बुझाना मुश्किल | Stove not burning, it is difficult to extinguish stomach fire | Patrika News

चूल्हे नहीं जल रहे, पेट की आग बुझाना मुश्किल

locationबाड़मेरPublished: Nov 27, 2020 06:00:46 pm

Submitted by:

Ratan Singh Dave

केस-1लखमा, कुककम हैल्पर राप्रावि केलन का पार। विधवा महिला है। पति जागनखां छह साल से क्षयरोग से ग्रसित है। परिवार में तीन छोटे बच्चे है। कमाने वाला कोई नहीं है। इस महिला को पोषाहार पकाने के काम से जोड़ा गया ताकि परिवार का पालन पोषण हो सके। कोरोनाकाल में नौ माह से मानदेय नहीं मिला है। पांच जिंदगियों को पालना और बीमारी का खचाज़्, लखमा के लिए कोरोना से बड़ा संकट बना हुआ है।

चूल्हे नहीं जल रहे, पेट की आग बुझाना मुश्किल

चूल्हे नहीं जल रहे, पेट की आग बुझाना मुश्किल

केस-1
लखमा, कुककम हैल्पर राप्रावि केलन का पार। विधवा महिला है। पति जागनखां छह साल से क्षयरोग से ग्रसित है। परिवार में तीन छोटे बच्चे है। कमाने वाला कोई नहीं है। इस महिला को पोषाहार पकाने के काम से जोड़ा गया ताकि परिवार का पालन पोषण हो सके। कोरोनाकाल में नौ माह से मानदेय नहीं मिला है। पांच जिंदगियों को पालना और बीमारी का खचाज़्, लखमा के लिए कोरोना से बड़ा संकट बना हुआ है।
केस-2
लीला देवी कुक कम हैल्पर,राउमावि धन्नै की ढाणी सिणधरी। गरीब विधवा महिला है। लीला का गुजारा 1320 रुपए मासिक की इस मामूल राशि से हो रहा था जो पिछले नौ माह से नहीं मिली है। मनरेगा में भी उसको नहीं जोड़ा गया है। एकल महिला कहती है कि वह बच्चों को पोषाहार बनाती थी अब उसके लिए रोटी का संकट है।
केस-3
सुआदेवी, कुक कम हेल्पर ,राशिप्रावि धुड़ाणी मेघवालों की ढाणी। यह विधवा महिला है। इसका एक लड़का विकलांग हैं । आथिज़्क स्थिति दयनीय है । मामूली मानदेय से वह जैसे-तैसे परिवार को दो जून की रोटी नसीब करवा रही थी लेकिन अब तो उसके लिए दो समय के भोजन का प्रबंध भी बड़ा सवाल हो गया है।
बाड़मेर पत्रिका.
राज्य का तर्क है केन्द्र सरकार ने कुक कम हैल्पर की 60 फीसदी मानदेय की राशिको अटका रखा है। राज्य ने अपने हिस्से की 40 प्रतिशत रािश इस वजह से जारी नहीं की है। दो सरकारों के बीच में अटकी कुक कम हैल्पर की राशि से दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है लेकिन प्रदेश की करीब एक लाख महिलाओ ंके घर के चूल्हे नहीं जल रहे है और पेट की आग बुझाना इनके लिए मुश्किल हो गया है। महिलाओं के दर्द को प त्रिका ने जाना तो उन्होंने कहा कि इतनी मामूली रकम के लिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की है लेकिन आज जब उन पर संकट आया है तो कोई आवाज नहीं उठा रहा है। महिलाओं ने शिक्षक संगठनों से भी मांग की है कि वे आगे आएं और उनकी रशि दिलाने में मदद की जाए।
राज्य मे अल्प मानदेय भोगी कुक कम हेल्पर का अप्रैल माह से मानदेय बकाया है, इससे इनको आथिज़्क संकट का सामना करना पड़ रहा हैं । राज्य सरकार शीघ्र बजट जारी कर इन्हें भुगतान कर राहत प्रदान करें ।
– भेराराम आर भार, जिला प्रवक्ता, राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील
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