अंतिम दिन कथा में तेजाजी के वचनपालन और उनके निर्माण के प्रसंगों के साथ साथ सती माता पेमल के सती होने की कथा सुनकर भक्तगण अपने आंसू रोक नहीं पाए। प्रसंगों से सम्बंधित झांकियां आकर्षण का मुख्य केंद्र रही जिनमें अभिनय अशोक सियाग व किसान छात्रावास के बालकों ने किया।
अंतिम दिन में मुख्य सानिध्य महंत मोटनाथ जसनाथ आश्रम लीलसर, महंत जेठनाथ जसनाथ आश्रम कोलू ,वीरमनाथ परमहंस, कथावाचिका साध्वी प्रेम बाईसा, सिद्ध पूर्णनाथ, सिद्ध पूरनाथ सहित जसनाथी सेवकों का रहा। कार्यक्रम में दानदाताओं, कार्यकर्ताओं का सम्मान किया गया। साध्वी सूरज बाईसा का महोत्सव समिति, गणपत सियाग व तिलोक सऊ की तरफ से विशेष अभिनंदन किया गया ।
स्मारिका का विमोचन तेजा दर्शन महोत्सव समिति की ओर से रमेश मिर्धा के संपादन, जोगाराम सारण व प्रेमाराम भादू के सह संपादन,डॉ. बंशीधर तातेड़ के मुख्य मार्गदर्शन में प्रकाशित तेजा दर्शन स्मारिका का विमोचन किया गया।
आयोजित हुआ अग्नि नृत्य पांच दिवसीय महोत्सव की अंतिम रात्रि को सिद्ध देव जसनाथ महाराज स्थापित जसनाथी संप्रदाय का विश्व प्रसिद्ध अग्नि नृत्य व शब्द गायन का आयोजन हुआ। तेजा दर्शन महोत्सव समिति की ओर से अध्यक्ष हरिराम जाजड़ा, ब्रह्मदेव भास्कर, आयोजन प्रभारी प्रेमाराम भादू, सह प्रभारी रूपा राम सियाग, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रूप सिंह जाखड़ का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। बाड़मेर. वीर तेजा दर्शन कार्यक्रम के दौरान अग्नि नृत्य की प्रस्तुति देते हुए।