इसके बाद उन्होंने ग्राम पंचायत से भुगतान की मांग रखी तो उन्होंने बहाने बाजी शुरू कर दी। वहीं टांके का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है। ऐसे में उधारी से लाई गई नकदी पर ब्याज लग रहा है तथा मजदूरों को भी भुगतान नहीं हो पाया। परेशान गोपाराम ने ई-मित्र से इसकी जानकारी निकलवाई तो पता चला कि इसका भुगतान तो पहले ही हो चुका है। इस पर गोपाराम ने जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंप टांके का भुगतान दिलाने की मांग रखी।