जिले में आत्महत्याएं लगातार होना वाकई चिंताजनक है। खासकर युवा वर्ग जो किसी न किसी अवसाद का शिकार हैं या भौतिकवादी युग की खुली वैचारिक विचारधारा का सामंजस्य ग्रामीण क्षेत्र की विचारधारा से मेल नही हो रहा है। इसमें शिक्षक युवाओं के लिए एक अच्छे काउंसलर की भूमिका निभा सकते हैं।
नरेंद्र कुमार आलोक, व्याख्याता कोषाध्यक्ष रेसला मौजूदा हालात में सामूहिक आत्महत्या के पीछे बदलती जीवनशैली और सोशल मीडिया और एकाकीपन कुद हद तक जिम्मेदार है। हमें बच्चों के लिए स्कूल में इस संबंध में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। जिससे आगे जाकर इस तरह का कोई कदम नहीं उठाएं। संस्कारवान व अनुशासन में रहने के समय-समय पर युवा पीढी को बालसभाओं पर जानकारी दी जाए। जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाएं नहीं हो।
– गनीखान हालेपोत्रा, संगठन मंत्री,राजस्थान प्राथमिक माध्यमिक शिक्षक संघ बाड़मेर जिले में बढ़ती सामूहिक आत्महत्या एक गंभीर मामला है। परिवार में सामूहिक बैठक कर बच्चों की समस्याएं सुननी चाहिए। वहीं बड़ों को भी कोई दिक्कत है तो उसे किसी से साझा कर समस्या का हल निकाला जा सकता है। नाबालिग बच्चों को मोबाइल नहीं देने चाहिए। इससे काफी हद तक इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।
-भीयाराम सारण प्रदेश महामंत्री राजस्थान प्रबोधक संघ युवा वर्ग में सोशल मीडिया का नकारात्मक उपयोग बढ़ता जा रहा है। जिसे सकारात्मक में बदलने की आवश्यकता है, समाज के जिम्मेदार व्यक्तियों को युवाओ एवं छात्रों को सही दिशा की ओर अग्रसर करने के प्रयास करने चाहिए। शिक्षक भी अपना योगदान दें। जीवन में हताशा एवं निराशा के स्थान पर सहन शक्ति जैसे गुणों का समावेश कराना होगा ताकि आत्महत्याओं जैसी घटनाओ पर विराम लग सके। इसके साथ ही विद्यालयों एवं अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सामाजिक जागरूकता सम्बन्धी कार्यक्रमों के माध्यम से छात्रों एवं युवा पीढ़ी को सही दिशा में अग्रसर करने तथा प्रेरणादायी सन्देश देना होगा।
खेताराम सोनी, चौहटन ब्लॉक महामंत्री राज.प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ सामूहिक आत्महत्याओं के पीछे आत्मविश्वास की कमी, एकाकी जीवन, तनाव, पारिवारिक कलह, (Family feud) पति-पत्नी के बीच सामंजस्य की कमी सहित कई ऐसे कारण है जिसमें समाधान नहीं होने पर गलत राह चुन ली जाती हैं। इसकी रोकथाम के लिए सबसे पहले सोशल मीडिया पर सरकार नियंत्रण होना चाहिए। इंडोर की जगह आउटडोर खेलो का विस्तार हो, पौराणिक खेल, प्रतियोगिताए आयोजित की जाए। परिवार में प्रेम, सौहार्द, कायम हो,ऐसे प्रयासों से रोकथाम लग सकती है।
– भभूतसिंह सोढ़ा, गडरारोड़ ब्लॉक अध्यक्ष, राजस्थान प्राथमिक माध्यमिक शिक्षक संघ बढ़ रही आत्महत्या का मुख्य कारण सोशल मीडिया तथा इंटरनेट पर परोसी गई गलत चीजों का प्रभाव हैं। एकल परिवार का बढऩा, संयुक्त परिवारों का विखंडन, संस्कारों की भारी कमी, भौतिक उत्थान तथा नैतिक उत्थान में अंतर का बढऩा है। किसी भी समाज में शिक्षक या गुरु की भूमिका अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण होती है! बच्चों का नैतिक आचरण की शिक्षा दें। बच्चों को कॅरियर के साथ सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति सजग करें। ताकि वे गलत रास्तों से बचें!
-सांगाराम जांगिड़ व्याख्याता राउमावि गडरारोड़ वर्तमान समय में बाड़मेर मे हो रही आत्महत्या का मुख्य कारण शिक्षा की कमी तथा मोबाइल के अत्यधिक प्रचलन एक बड़ा कारण है। एकल परिवार, नैतिक शिक्षा की कमी,पुरुषप्रधान विचारधारा तथा रूढि़वादी मानसिकता के कारण ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसकी रोकथाम स्वस्थ सोच व सकारात्मक विचारों से की जा सकती है।
रायसिंह गोदारा प्रधानाचार्य राबाउमावि, बायतु बढ़ती आत्महत्या की घटनाएं चिंताजनक है, इसके पीछे आज के दौर में बढ़ता मानसिक तनाव व सोचने समझने की शक्ति क्षीण होना बड़ा कारण है। साथ ही मोबाइल का दुरुपयोग, सोशल मीडिया तथा अपनी भावनाओं पर नियंत्रण का अभाव एवं बढ़ती हुई नशा प्रवृति आत्महत्या की वजह बन रहे हैं। इसको रोकने के लिए विद्यालय में बच्चों को विशेष रूप से अपनी संस्कृति, रिश्तों और पारंपरिक रीति रिवाज के बारे में काउंसलिंग करना आवश्यक है। शिक्षक वर्ग इसमें बखूबी अच्छी जिम्मेदारी से अपनी भूमिका निभा सकते हंै।
-पृथ्वीराज जाखड़, जिला प्रवक्ता, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ आज का व्यक्ति वर्तमान परिस्थितियों से समायोजन नहीं कर पा रहा है। व्यक्तियों में सहनशीलता समाप्त हो रही है। साथ ही मोबाइल प्रचलन बढऩे से समाजिक दुष्प्रभाव बढ़ रहा है। शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों को शिक्षण कार्य के साथ ही संस्कारवान शिक्षा के माध्यम से इस तरह की घटनाओं के विचार से दूर रखा जा सकता है। विभाग सामाजिक समस्याओं को दूर करने के लिए जन जागरण के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है
-द्वारकाप्रसाद शर्मा, मुख्य ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी शिव सामूहिक आत्महत्याओं के पीछे सबसे बड़ा कारण अशिक्षा है। अशिक्षा एवं संस्कारों के अभाव में ऐसी घटनाएं हो रही है। शिक्षकों को शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार देने चाहिए ताकि संस्कारवान बालक बालिकाएं तैयार हो। विद्यर्थियों को जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षा देनी चाहिए। माता पिता अपने बच्चों को समय दें।
-कानसिंह पुरोहित, तहसील अध्यक्ष रेसला संघ ब्लॉक रामसर वर्तमान में लगातार हो रही आत्महत्याओं के लिए एकल परिवार का बढऩा, मोबाइल का दुरुपयोग, पुरानी संस्कृति एवं संस्कारों का अभाव, युवा वर्ग में नशा प्रवृत्ति बढऩा प्रमुख कारण है। इसके रोकथाम के लिए संयुक्त परिवार को बढ़ावा देना होगा। जिससे परिवार में दादा दादी, नाना नानी की पुरानी प्रचलित कहानियों का सुनाना, शाम के भोजन के समय परिवार में संयुक्त पारिवारिक वार्तालाप करना, युवाओ युवतियों में मोबाइल का उपयोग सीमित करना, किसी में अवसाद की हलचल होने पर मोटिवेशन करना ही इसका बचाव हैं।
-भैराराम आर भाखर, शिक्षक नेता राजस्थान पंचायतीराज शिक्षक संघ जिले में आत्महत्याओं के पीछे मूल कारण सोशल मीडिया का दुरुपयोग, सहनशीलता की कमी व संयुक्त परिवारों का टूटना है। विद्यालयों में संस्कारों का कालांश अनिवार्य किया जाए। सामाजिक चिंतन, शिक्षकों व ग्रामीणों में मनोवैज्ञानिक ढंग से समझाइश सहित सामाजिक जन जागरूकता अभियान चलाकर इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
-खेमराज दवे, प्रदेश प्रतिनिधि राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय समदड़ी
-खेमराज दवे, प्रदेश प्रतिनिधि राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय समदड़ी