बाड़मेर

विरासत व प्रकृति के बूते थार की धन-तेरस

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बाड़मेरNov 05, 2018 / 07:10 am

ओमप्रकाश माली

Thar Dhan Thiras, on the basis of heritage and nature

विरासत व प्रकृति के बूते थार की धन-तेरस
बाड़मेर ञ्च पत्रिका . थार का रेगिस्तान भले ही अभाव और अकाल के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन यहां सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक संपन्नता के बूते लोग धनी हैं। थार की यह समृद्धि देश में उसको अलग पहचान देने लगी है।
1. लिग्नाइट पावर प्रोजेक्ट
भादरेस में 1080 मेगावाट के पावर प्लांट हैं। 10 हजार करोड़ से अधिक का निवेश हुआ है। 660 मेगावाट की इकाइयां और लगनी हैं। लिग्नाइट आधारित पावर प्लांट में देश में बाड़मेर अग्रणी है।
2. 43 हजार करोड़ की रिफाइनरी
थार में निकले तेल के बूते पचपदरा में 43 हजार करोड़ में रिफाइनरी बनेगी। यह रिफाइनरी 2021 तक तैयार होनी है। प्रदेश की यह पहली रिफाइनरी बाड़मेर जिले के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।
3. हैंडीक्राफ्ट की अलग पहचान
थार के इस इलाके का हैण्डीक्राफ्ट मिसाल बन रहा है। विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से 30 हजार से अधिक महिलाएं क्राफ्ट से जुड़ी हैं। इनके बनाए परिधान और अन्य उत्पाद अब देश-विदेश में पहुंच गए हैं। बीते दिनों में बड़े शहरों में हुए फैशन शो में भी बाड़मेर ने धाक जमाई है।
4. 16 अरब का जीरा
धोरों की धरती सालों तक प्यासी रही, लेकिन अब इसके भूगर्भ में पानी है। बायतु के अलावा अब पूरा क्षेत्र डार्कजोन से बाहर हो गया है। जिले में रबी की मुख्य फसल जीरा 16 अरब का पैदा होने लगा है। अनार, इसबगोल और अन्य फसलों से किसान मालामाल हो रहे हैं। नर्मदा नहर का भरपूर पानी आते ही रेगिस्तान हरित क्रांति लाएगा।
05. सांस्कृतिक विरासत कलाकार… थार की अनमोल विरासत हैं यहां के कलाकार। जिले के चार सौ से अधिक मांगणिहार कलाकार हैं। इसमें से कई कलाकार अपनी गायकी के बूते बीसियों देश की यात्रा कर चुके हैं। टी.वी. चैनल्स पर भी धूम मचा दी है। गायकी और वादन की यह समृद्धि जिले के लिए बड़ी सौगात है।
6. मुल्तानी मिट्टी
बाड़मेर जिले में सौंदर्य को निखारने वाली मुल्तानी मिट्टी का अथाह भंडार है। इस मिट्टी का सौंदर्य प्रसाधन के रूप में इस्तेमाल होने से पूरे देश में जाती है। यह एक प्रकार की औषधीय मिट्टी है। चर्मरोगों को समाप्त करने एवं त्वचा को मुलायम रखती है।
7. रेअर अर्थ का खजाना
सिवाना की पहाडिय़ों में रेअर अर्थ का खजाना है जो चीन के एकाधिकार को खत्म कर सकता है। 17 प्रकार के रेअर अर्थ के खजाने की समृद्धि को लेकर जिस दिन काम शुरू हुआ तेल-गैस के मुकाबले की संपन्नता छप्पन की पहाडिय़ों से मिलेगी।
8. 55 लाख पशुधन
थार में करीब 55 लाख पशुधन है। इसमें साढ़े सात लाख गोवंश। यहां डेयरी उद्योग समृद्ध हो रहा है। नहर और सिंचाई के लिए पानी मिलने वाली जगहों पर अब पशु समृद्धि में मुर्रा नस्ल की भैंसों के साथ ही विदेशी नस्ल की गायों का आना भी नवाचार है।
9. मालाणी नस्ल के घोड़े
बाड़मेर की एक पहचान मालाणी नस्ल के घोड़ों को लेकर भी है। इनकी मांग अब देश के अलावा विदेश में भी है। बाड़मेर के तिलवाडा में लगने वाले मल्लीनाथ पशु मेले में इन घोड़ों को खरीदने उत्तरप्रदेश, हरियाणा, गुजरात के साथ पूरे देश से अश्वपालक आते हैं।
10. प्राकृतिक गैस
हाइड्रोकार्बन उत्पादों में प्राकृतिक गैस व कोल बैड मिथैन की खोज बाड़मेर के गुड़ामालानी क्षेत्र में हो चुकी है। इसके लिए भी उत्पादन की अनुमति का इंतजार है। केन्द्र सरकार की कोल बैड मिथैन को लेकर नई नीति पर कार्य होता है तो प्राकृतिक गैस को लेकर बाड़मेर आत्मनिर्भर होगा।
11. बाजरा, मूंग, मोठ
भी खूब
बाड़मेर में खरीफ की फसल भी लाखों हैक्टेयर में होती है। बाड़मेर का बाजरा, मूंग, मोठ के साथ कैर, सांगरी, मतीरा और गोंद की मांग दिनों दिन बढ़ रही है। ग्वारगम उद्योग लोगों के रोजगार का जरिया तो है ही, इसका निर्यात होने से देश के खजाने में भी हमारी भागीदारी है।
12. तेल-गैस… बाड़मेर देश में सर्वाधिक प्रतिदिन 1.75 लाख बैरल तेल का उत्पादन कर रोजाना करीब 12 करोड़ रुपए राज्य को और 35 करोड़ केन्द्र सरकार को राजस्व दे रहा है। 2021 तक देश-प्रदेश को करीब 175 करोड़ रुपए प्रतिदिन देगा। एक लाख करोड़ का निवेश होगा।
13. बालोतरा का पोपलीन उद्योग
बालोतरा का पोपलीन उद्योग देशभर में बाड़मेर का नाम आगे बढ़ा रहा है। 1000 से अधिक कारखानों में प्रतिमाह 100 करोड़ से अधिक का कारोबार दे रहे हैं। क्षेत्र व देश के 50 हजार के करीब परिवार इस उद्योग से प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष इससे जुड़े हुए हैं।

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