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रोटी-बेटी से जुडे़ लाखों भारत-पाकिस्तानी नागरिकों के परिवारों को बिछोह का दु:ख दे दिया

locationबाड़मेरPublished: Aug 17, 2019 11:39:06 am

Submitted by:

Ratan Singh Dave

सियासतों के खेल में…रुकी रिश्तों की रेल…
भारत-पाकिस्तान के बीच बुने सामाजिक ताने-बाने को जोडऩे के लिए 18 फरवरी 2006 को शुरू हुई थार एक्सप्रेस को पहली बार रद्द कर दिया गया है। धारा 370 हटाए जाने के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने थार एक्सप्रेस के पिछले हफ्ते के फेरे से पहले ही यह समझौता व थार एक्सपे्रस को रद्द करने की मंशा जताई थी लेकिन एक हफ्ते बाद यह रेल बंद कर दी गई है। इस निर्णय ने रोटी-बेटी से जुडे़ लाखों भारत-पाकिस्तानी नागरिकों ( हिन्दू-मुस्लिमों) के परिवारों को बिछोह का दु:ख दे दिया है।

भारत-पाकिस्तान के बीच बुने सामाजिक ताने-बाने को जोडऩे के लिए 18 फरवरी 2006 को शुरू हुई थार एक्सप्रेस (Thar Express) को पहली बार रद्द कर दिया गया है। धारा 370 हटाए जाने के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने थार एक्सप्रेस के पिछले हफ्ते के फेरे से पहले ही यह समझौता व थार एक्सपे्रस को रद्द करने की मंशा जताई थी लेकिन एक हफ्ते बाद यह रेल बंद कर दी गई है।
इस निर्णय ने रोटी-बेटी से जुडे़ लाखों भारत-पाकिस्तानी नागरिकों ( हिन्दू-मुस्लिमों) के परिवारों को बिछोह का दु:ख दे दिया है। पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान में हिन्दुओं पर ज्यादती और वीजा नहीं देने पर उतर आया पाक इस बार जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद बौखलाया हुआ है। भारत और पाकिस्तान में पंद्रह लाख से ज्यादा परिवार पाकिस्तान के इस निर्णय से प्रभावित होंगे। पांच लाख शरणार्थी परिवार पर सीधा असर पड़ा है।
बाड़मेर. धारा 370 हटाने के बाद द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध बंद कर चुके पाकिस्तान ने थार एक्सप्रेस को बंद करने के संकेत दिए थे और पाकिस्तान के रेलमंत्री शेख रशीद ने भी इसकी पुष्टि की थी लेकिन पिछले शुक्रवार को थार एक्सपे्रस का संचालन किया गया। शुक्रवार को भारत के रेल मंत्रालय ने थार एक्सप्रेस रद्द होने की जानकारी दी है।
थार एक्सप्रेस

41 साल बाद चली थी दोस्ती की रेल

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में रेल पटरियां क्षतिग्रस्त होने के बाद इस मार्ग को बंद कर दिया गया। 18 फरवरी 2006 को 41 साल बाद थार एक्सप्रेस पुन: प्रारंभ हुई जिसे दोस्ती की रेल कहकर संबोधित किया गया।
14 साल में 4 लाख लोगों ने किया सफर

थार एक्सप्रेस में पहले 1000 से 1200 यात्री हर फेरे में आ रहे थे लेकिन बाद में यह औसत 800 पर आ गया। अब तक करीब 4 लाख लोग थार एक्सप्रेस से सफर कर चुके हैं।
7 दिन में एक बार आती रेल

थार एक्सप्रेस शुक्रवार को पाकिस्तान के कराची से रवाना होती है जो खोखरापार जीरो लाइन रेलवे स्टेशन ( पाकिस्तान )पहुंचती है। यहां पाकिस्तान की ओर से कस्टम, वीजा, इमीग्रेशन के बाद में मुनाबाव (अंतरराष्ट्रीय रेलवे स्टेशन )भ् ाारत पहुंचती है। जहां कस्टम इमीग्रेशन के बाद भगत की कोठी जोधपुर को रवाना होती है।
7 घंटे 05 मिनट का सफर

रेलवे समय सारिणी के अनुसार 7 घंटे और 05 मिनट में थार एक्सप्रेस 381 किमी सफर तय करती है। लेकिन वीजा- कस्टम की कार्यवाही की वजह से दो दिन लग जाते है।
पारिवारिक महत्व

1947 के भारत-पाक बंटवारे के बाद कई परिवार भारत में रह गए तो कई पाकिस्तान। 1965 और 1971 के युद्ध बाद भी दोनों मुल्कों से लोगों का आना-जाना हुआ। एेसे में परिवारों का बंटवारा एेसा हुआ है कि अब रोटी-बेटी का रिश्ता बना हुआ है। इन परिवारों के आपस में मिलने के लिए 41 साल बाद थार एक्सप्रेस बड़ा जरिया बनी।
धार्मिक महत्व

हरिद्वार-पुष्कर- (भारत )
पाकिस्तान में बसे हिन्दू परिवारों के लिए हरिद्वार और पुष्कर का बड़ा महत्व है। पाकिस्तान में हिन्दू परिवार आज भी अस्थी विसर्जन हरिद्वार में करने की ही तमन्ना रखते हैं। थार का संचालन शुरू होने के बाद हजारों परिवार इसके लिए आए और तीर्थराज पुष्कर का दर्शन उनकी दूसरी इच्छा है।
हिंगलाज (पाकिस्तान )
पाकिस्तान में कराची के पास शक्तिपीठ हिंगलाज है। भारत में बसे खत्री, राजपूत सहित लाखों लोग हिंगलाज माता के उपासक है। थार एक्सप्रेस के संचालन बाद हिंगलाज शक्तिपीठ के दर्शन को हजारों लोग पहुंचे। नवरात्रा पर यहां विशेष दर्शन पूजन होते है।
अजमेर शरीफ(भारत )
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर शरीफ के मुरीद पाकिस्तान में बड़ी संख्या में है। थार एक्सप्रेस के बाद इन मुरीदों ने अजमेर शरीफ और कच्छ के दरगाह में पहुंचकर मुराद पूरी की।
पीर मुरीदी ( पाकिस्तान)
पीर पगारो सिंधी, मुल्तान शरीफ, पीर नूर मोहम्मद सांगड़ा सिंध और नवाब हाला पाकितान में पीर है। जिनके भारत में 8 से 10 लाख मुरीद है। थार एक्सप्रेस प्रारंभ होने के बाद ये सारे पीर भारत आए और मुरीद बड़ी संख्या में जियारत करने पाक गए।
गडरा के लड्डू जा रहे थे और पाकिस्तान से सुपारी आ रही थी

थार एक्सप्रेस के जरिए पाकिस्तान से आने वाले अपनों के लिए जरी बूटे के कपड़े, पाकिस्तान के चप्पल, सुपारी, मेहंदी, नेल पॉलिस, चूड़ी-कंगन, सलवार सूट और कपड़ा गिफ्ट में ला रहे थे। उधर भारत से जाने वाले गडरारोड़ के लड्डू, चूडि़यां, हाथी दांत के चूड़े, साडि़यां, शॉल ले जा रहे थे।
छत्तीस कौम पर पड़ेगा असर

चारण-

करीब एक हजार चारण परिवार है जो पाक विस्थापित होकर पहुंचे है। पाकिस्तान के चारणोर, मिठी, छाछरो, मिठडि़या, बादोलाइ, खारोड़ा से आए है। इन परिवारों के लिए थार एक्सप्रेस ने रिश्तों की नई डोर जोड़ी है। पाकिस्तान की यह करतूत ठीक नहीं है। सियासतों की अनबन में रिश्तों पर वार करना कहां तक ठीक है। थार एक्सप्रेस चलती है तो भारत ही नहीं पाकिस्तान के परिवार भी खुश रहेंगे।
डॉ. बाबूदान बींजासर, अध्यक्ष धाट पारकर वेलफेयर आर्गेनाइजेशन
राजपूत-
राजपूतों के 1000 के करीब परिवार है। इसमें सोढ़ा राजपूत सर्वाधिक है। इन परिवारों की रिश्तेदारी पाकिस्तान में है। अभी भी रोटी-बेटी का रिश्ता बना हुआ है। पाकिस्तान बारातें जा रही है और दुल्हनें आ रही है। पाकिस्तान की बेटियां यहां है तो भारत की बेटियां वहां। हर तीज-त्यौहार हम हिलमिलकर मना रहे थे। 14 साल से अच्छा माहौल था। थार एक्सप्रेस को रोककर परिवारों को दर्द दिया गया है।
– हिन्दूसिंह सोढ़ा, अध्यक्ष पाक विस्थापित संघ

मेघवाल-
बड़ी संख्या में विस्थापन मेघवाल परिवारों को 1947,1965 और 1971 में हुआ। करीब 8000 परिवार आए हैं। अधिकांश परिवार गरीब है। पाकिस्तान के सिंध इलाके में रहते हैं और बाड़मेर के चौहटन, रामसर, गडरारोड, शिव में। इन परिवारों को 16 साल से सुकून था। मेरे भी रिश्तेदार है। पाकिस्तान में ज्यादती होने पर हम उसकी खैर खबर लेने भी गए है। थार एक्सप्रेस बंद होने से परिवारों पर बड़ा असर पड़ेगा।
– तरूणराय कागा, पूर्व विधायक चौहटन

ब्राह्मण-
पाकिस्तान के सिंध इलाके के मिठी, छाछरो सहित कई ताल्लुकों से पुष्करणा ब्राह्मण परिवार आकर भारत में बसे। बाड़मेर के बाद अलवर के पा खैरथल में बड़ी संख्या में है। 1000 के करीब परिवार है। इन परिवारों में भी थार एक्सप्रेस रिश्तों की डोर बनी। पाकिस्तान थार एक्सप्रेस को रोककर गलत कर रहा है।
– पितांबरदास सुखानी, पुष्करणा

मुसलमान-

जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाना भारत के अधिकार क्षेत्र का मामला था। पाकिस्तान बिना बात का विवाद कर रहा है। थार एक्सप्रेस को रोकने से क्या हो जाएगा? दोनों ओर के लोग परेशान होंगे। इस तरह की हरकतें नहीं होनी चाहिए। तीस हजार से अधिक मुसलमान परिवारों का नाता है। दोनों ओर इसका असर पड़ेगा।
– अशरफ अली, पूर्व राज्यमंत्री

छत्तीस कौमे प्रभावित

स्वामी, माली, कुम्हार, दर्जी, सुनार, सिंधी, महेश्वरी छत्तीस कौम के लोग पाकिस्तान से आए है जिनको धाटी कहते हैं। इन सभी जातियों का रोटी-बेटी का रिश्ता है। धार्मिक महत्व भी है। थार एक्सप्रेस शुरू होने के बाद सुकून मिला था लेकिन पाकिस्तान थार को रोककर ओछी हरकत पर उतर आया है। एक लाख परिवार बाड़मेर में प्रभावित होंगे।
बद्रीप्रसाद शारदा, अध्यक्ष धाट महेश्वरी समाज

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