सूचना के अधिकार कानून के तहत एचपीसीएल ने एक आवेदक को अपील में यह जानकारी दी कि वास्तविक यांत्रिकी रिफाइनरी का कार्य जीरो डेट से शुरू होगा। जीरो डेट का मतलब यह है कि सभी वैधानिक स्वीकृतियां प्राप्त होने की अंतिम तिथि। इसमें पर्यावरण स्वीकृति, केन्द्र सरकार की मंजूरी, लाइसेंसर का चयन और लाइसेंसर से बीडीईपी (बेसिक डिजाइन इंजीनियरिंग पैकेज) की प्राप्ति शामिल है। इनमें पर्यावरण और केन्द्र सरकार की मंजूरी तो बताई जा रही है लेकिन लाइसेंसर चयन बाकी है, इसके लिए अलग से करीब 12 से 14 निविदाएं निकाली जाएंगी। इसमें अमूमन छह से सात माह का समय लगता है। इसके बाद चयनित लाइसेंसर तकनीकी रूप से पूरी जानकारियां देंगे कि कैसे रिफाइनरी लगेगी, कौनसी मशीनरी कहां लगेगी, पाइप कैसे रहेंगे…कहां क्या कहां बनेगा…इत्यादि। इसके बाद वास्तविक रिफाइनरी का कार्य शुरू किया जाएगा, जिसे चार वर्ष में पूरा करने का दावा किया जा रहा है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर एचपीसीएल के अधिकारी यह स्वीकार कर रहे हैं कि चार साल में प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए वे प्रयासरत हैं हालांकि अभी कई प्रोसेस बाकी हैं। ऐसे में निविदा आदि के छह-सात माह के काम को आवश्यकतानुसार जल्द भी निपटाया जा सकता है। रिफाइनरी का वास्तविक कार्य शुरू होने में कम से कम डेढ़ साल और लग सकता है लेकिन उससे पहले इस स्थल पर चारदीवारी बनाकर जमीन समतलीकरण, सड़क व पेयजल आदि की व्यवस्थाएं कर ली जाएंगी।
हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और राजस्थान सरकार की संयुक्त परियोजना के तहत बाड़मेर के पचपदरा में 4813 एकड़ जमीन पर रिफाइनरी कम पेट्रो केमिकल्स कॉम्पलैक्स का निर्माण किया जा रहा है। परियोजना में एचपीसीएल की हिस्सेदारी 74 फीसदी और राजस्थान सरकार की 26 फीसदी है। दावा है कि रिफाइनरी कमपेट्रो केमिकल कॉम्पलेक्स 2021 में बन कर तैयार हो जाएगा। इस पर 43 हजार करोड़ का खर्चा आएगा।
पूर्ववर्ती सरकार में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सितम्बर 2013 में रिफाइनरी का शिलान्यास किया था, लेकिन तब विधानसभा चुनावों की आचार संहिता लगने के कारण काम शुरू नहीं हुआ। इसके बाद सत्ता में आई भाजपा सरकार ने पुराना एमओयू रद्द कर दिया था।