बाड़मेर बाड़मेर पत्रिका. प्रदेश में नशीले पदार्थों की तस्करी की तरह नकबजनी का नेटवर्क दिनों-दिन फल-फूल रहा है। पुलिस प्रयास करती है, लेकिन नेटवर्क को पूरी तरह से तोडऩे में अधिकांश मामलों में नाकामी ही सामने आती है। पुलिस गैंग का फर्दाफाश बताती है, लेकिन पकड़ में दो-चार ही आते हैं। गैंग के अन्य अपराधी वारदातों को लगातार अंजाम देते रहते हैं।
नकबजनी की वारदातें आए दिन होती रहती हैं। इसमें जिले सहित अन्य जिलों के अपराधी भी शामिल हैं। वहीं वारदातें भी राजस्थान में करने के बाद पड़ोसी प्रदेशों में चले जाते हैं। वहां भी वारदातों का अंजाम देते हैं। पुलिस भाग-दौड़ करती है, लेकिन अपराधियों का नेटवर्क पुलिस तोड़ नही पा रही है। इस कारण ही पिछले दिनों जोधपुर में पकड़े गए मोबाइल टावर बैटरी चोर गिरोह तीन साल तक वारदातें करता रहा। इस मामले में भी पुलिस केवल दो जनों को ही पकड़ पाई।
नकबजनी की वारदातें आए दिन होती रहती हैं। इसमें जिले सहित अन्य जिलों के अपराधी भी शामिल हैं। वहीं वारदातें भी राजस्थान में करने के बाद पड़ोसी प्रदेशों में चले जाते हैं। वहां भी वारदातों का अंजाम देते हैं। पुलिस भाग-दौड़ करती है, लेकिन अपराधियों का नेटवर्क पुलिस तोड़ नही पा रही है। इस कारण ही पिछले दिनों जोधपुर में पकड़े गए मोबाइल टावर बैटरी चोर गिरोह तीन साल तक वारदातें करता रहा। इस मामले में भी पुलिस केवल दो जनों को ही पकड़ पाई।
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रैकी के बाद नकबजनी पुलिस के हत्थे चढे दो अलग-अलग अंतरराज्यीय गैंग के सदस्यों ने पुलिस गश्त की कलई खोल कर रख दी है। पुलिस ने दावा किया है कि गैंग के सदस्य प्रदेश भर में तीन साल से वारदातों को अंजाम दे रहे थे। इसके बावजूद पुलिस का खुफिया तंत्र पूरी तरफ फैल रहा। गैंग के सदस्य वारदात स्थल की रैकी करने के बाद वारदात को अंजाम देते थे।
रैकी के बाद नकबजनी पुलिस के हत्थे चढे दो अलग-अलग अंतरराज्यीय गैंग के सदस्यों ने पुलिस गश्त की कलई खोल कर रख दी है। पुलिस ने दावा किया है कि गैंग के सदस्य प्रदेश भर में तीन साल से वारदातों को अंजाम दे रहे थे। इसके बावजूद पुलिस का खुफिया तंत्र पूरी तरफ फैल रहा। गैंग के सदस्य वारदात स्थल की रैकी करने के बाद वारदात को अंजाम देते थे।
—- इसलिए नहीं मिलती कामयाबी जानकारी में सामने आया है कि अधिंकाश मामलों में पुलिस गैंग का पर्दाफाश कर वाहवाही लूट लेती है। लेकिन गिरोह के दो-चार सदस्य ही पुलिस की पकड़ में आते हैं। वहीं गैंग के अन्य अपराधी वारदातें करते रहते हैं और पुलिस भी इनको पकडऩे में उतनी तत्परता नहीं दिखाती। इसके बाद मामला फाइलों में दफन हो जाता है। इसलिए नेटवर्क का खात्मा नहीं हो पाता है।
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केस 1 – दो दिन पहले कोतवाली पुलिस ने मोबाइल टावर बैटरी व केबल चोरी के अंतरराज्यीय गैंग का पर्दाफाश कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने दावा किया कि यह गैंग तीन साल से प्रदेश में सक्रिय थी। इनका नेटवर्क जोधपुर शहर, फलौदी, नागौर, गुजरात, जयपुर, कोटा, अजमेर, बाड़मेर, बालोतरा, सिरोही, आबूरोड, उदयपुर, भीलवाड़ा, चितौडगढ़, टोंक, बूंदी, चूरू, भरतपुर रहा। गैंग ने 63 वारदातों को अंजाम दिया। इतनी वारदातों में तीन लोग तो शामिल हो नहीं सकते हैं। यह पुलिस के लिए भी बड़ा सवाल है।
केस 2 – पुलिस ने एक दिन पहले मंदिर व बंद मकानों में चोरी की वारदातों को अंजाम दे रही गैंग का पर्दाफाश किया। इस गैंग के सदस्यों ने बाड़मेर, जैसलमेर, फलौदी, जोधपुर, पाली, सिरोही, उदयपुर, गुजरात के डीसा, सूरत सहित अन्य स्थानों पर मंदिरों व बंद मकानों में चोरी की वारदातों को अंजाम दिया। पुलिस ने गैंग के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। पुलिस का दावा है कि गैंग लंबे समय से सक्रिय है। सवाल ये है कि पुलिस के हाथ पहले क्यूं नहीं लगी। जबकि पुलिस अपना नेटवर्क मजबूत बताती रही है।
केस 2 – पुलिस ने एक दिन पहले मंदिर व बंद मकानों में चोरी की वारदातों को अंजाम दे रही गैंग का पर्दाफाश किया। इस गैंग के सदस्यों ने बाड़मेर, जैसलमेर, फलौदी, जोधपुर, पाली, सिरोही, उदयपुर, गुजरात के डीसा, सूरत सहित अन्य स्थानों पर मंदिरों व बंद मकानों में चोरी की वारदातों को अंजाम दिया। पुलिस ने गैंग के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। पुलिस का दावा है कि गैंग लंबे समय से सक्रिय है। सवाल ये है कि पुलिस के हाथ पहले क्यूं नहीं लगी। जबकि पुलिस अपना नेटवर्क मजबूत बताती रही है।