भूखे रहने की नौबत लेकिन बीपीएल नहीं ये मां-बेटा
- बेटा उठ-बैठ नहीं सकता, बुजुर्ग मां के लिए मुश्किल हुई सारसंभाल व रोटी की जुगत

- बेटा उठ-बैठ नहीं सकता, बुजुर्ग मां के लिए मुश्किल हुई सारसंभाल व रोटी की जुगत
वागाराम मेघवाल
परेऊ पत्रिका. चालीस साल का बेटा बीमार। 70 साल की मां सेवा कर रही है। दोनों के भूखे रहने की नौबत है। विधायक सहित प्रशासनिक अधिकरारियों को न केवल इन दोनों गांव के लोगों ने भी इल्तजा की कि ये वास्तव में गरीब है इनको बीपीएल में जोड़कर जो हो सके प्रबंध कर लिया जाए लेकिन एेसा नहीं हुआ है। गांव के ही लोगों का एक सोशल मीडिया ग्रुप इनके लिए दो जून की रोटी व अन्य मदद के लिए इन दिनों जुटा है।
सोहड़ा निवासी एक मां के लिए 'बुढ़ापे की लाठी' संभालना ही मुश्किल हो गया है। करीब 10 वर्ष पहले उसका बेटा धन्ना किसी बीमारी की चपेट में आ गया । आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करवाए पाए। अब 35 वर्षीय धन्नाराम उठ-बैठ भी नहीं सकता। सार-संभाल की जिम्मेदारी संभाले 70 वर्षीय मां पांची के बुजुर्ग कंधे अब जवाब देने लगे हैं। कमजोर आंखें ज्यादा देख नहीं पातीं, घुटनों का दर्द चलने भी नहीं दे रहा लेकिन मां बिना थके उसकी सेवा किए जाती है। गांव से कोई सहायता कर जाता है तो उसी से दोनों को दो जून की रोटी नसीब होती है।
इस स्थिति के बावजूद उनका बीपीएल कार्ड नहीं बना है। ऐसे में किसी सरकारी योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा। इसको लेकर लोगों ने बायतु विधायक को भी अवगत करवाया। गांव के ही लोगों का एक सोशल मीडिया ग्रुप इनके लिए दो जून की रोटी व अन्य मदद के लिए इन दिनों जुटा है।
न सुविधा, ना सरकारी सहायता
सरकार ढाणी-ढाणी रोशन करने का दावा कर रही है, लेकिन इनका आशियाना अब भी अंधेरे में ही है। गांव के कुछ लोगों ने उनकी स्थिति को लेकर जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को भी अवगत करवाया, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। पांची देवी की पेंशन भी बीते करीब चार माह से बंद है। ऐसे में उसके लिए हालत और खराब हो रही है।
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