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रो पडे़ कलक्ट्रेट के कर्मचारी, जब देने लगे साथियों को श्रद्धांजलि, जानिए पूरी खबर

locationबाड़मेरPublished: Apr 17, 2019 12:32:03 pm

– जयपुर से लौट रहे थे बाड़मेर, जोधपुर जिले में बाड़मेर मार्ग पर हादसा- तीनों का हुआ अंतिम संस्कार
 

barmer news

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बाड़मेर. कलक्ट्रेट बाड़मेर के लिए मंगलवार का दिन बड़े दु:ख का था। जोधपुर के पास हुई सड़क दुर्घटना में कलक्ट्रेट के तीन कर्मचारियों की मौत हो गई। इस खबर से कलक्ट्रेट सहित जिलेभर के कर्मचारियों को गहरा आघात लगा। सुबह 11 बजे श्रद्धांजलि सभा में कलक्ट्रेट के कर्मचारी और अधिकारियों की आंखों से आंसू फू ट पड़े। अधिकारियों की आंखों में पानी था। जिला कलक्टर हिमांशु गुप्ता सहित अन्य ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए ढाढस भी बंधाया।
दिनभर पसरा रहा सन्नाटा
कलक्ट्रेट में रात करीब तीन बजे सूचना पहुंची कि जोधपुर के निकट दुर्घटना हुई है जिसमें बाड़मेर के तीन कर्मचारी हैं। इस पर कल्याणपुर व पचपदरा तहसीलदार को जोधपुर रवाना किया गया। इधर यह समाचार बाड़मेर के कर्मचारियों में आग की तरह फैल गया। तीन साथियों की मौत ने कर्मचारियों के घरों में चूल्हे ठंडे कर दिए। सुबह 11 बजे कलक्ट्रेट में श्रद्धांजलि सभा हुई तो दो मिनट के मौन में ही कर्मचारियों की आंखें भर आई और कई कर्मचारी फूट-फूटकर रोने लगे। साथ काम करने वाले कर्मचारियों की मौत ने अधिकारियों की आंखों में भी पानी ला दिया। एक दूसरे को ढांढस बंधाते हुए भावुक हुए कर्मचारियों को अधिकारियों ने संभाला। जिला कलक्टर हिमांशु गुप्ता, अतिरिक्त जिला कलक्टर राकेश कुमार और उपखण्ड नीरज मिश्रा भी भावुक हुए और कर्मचारियों के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित किए।
ओमप्रकाश की दादी हुई निढ़ाल
चालक ओमप्रकाश कुड़ला गांव के निवासी थे। पिता मांगीलाल रसद विभाग में ही थे जिनकी जगह मृतक आश्रित की नौकरी थी। 41 साल के ओमप्रकाश के निधन का समाचार 95 साल की दादी के लिए बड़ा अघात था। पहले पुत्र और अब पौत्र खोने के गम में निढाल हो गई। मां-पत्नी और बच्चों का भी बुरा हाल था। कुड़ला गांव में अंतिम संस्कार हुआ।
किशन डाबी के घर गम का माहौल
किशनलाल डाबी यहां चुनाव शाखा में कार्यरत थे। 54 वर्षीय डाबी के घर जैसे ही सूचना मिली पूरा परिवार शोकमग्न हो गया। आस पड़ौस के लिए भी यह खबर हिला देने वाली थी। अम्बेडकर कॉलोनी से जब उनका शव उठा तो पूरे मोहल्ले में गम छा गया।
चंद्रप्रकाश सहायक कर्मी से बने लिपिक
चंद्रप्रकाश सोनी की नियुक्ति सहायककर्मी के रूप में हुई थी और बाद में पदोन्नति से लिपिक बने। कलक्ट्रेट के कर्मचारियों के साथ 46 वर्षीय सोनी ने करीब 20 साल नौकरी की। शहर के शास्त्री नगर से जब उनका शव उठा तो परिजन और मौजूद कर्मचारियों की रूलाई फूट पड़ी।

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